भारत में युद्ध में थल सेना की भूमिका पर सेना प्रमुख का बयान

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक बार फिर किसी भी युद्ध में थल सेना की भूमिका को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताया है। जनरल द्विवेदी ने युद्ध के बदलते स्वरूप और परिवर्तनकारी सुधारों के तहत उभरती तकनीकों को अपनाने के भारतीय सेना के प्रयासों पर भी बात की। उन्होंने दोहराया कि चूंकि, हमारे सामने ढाई मोर्चों पर खतरा है, इसलिए जमीन ही हमेशा जीत की मुद्रा बनी रहेगी। उन्होंने जोर दिया कि सेनाओं का थिएटराइजेशन ही इसका समाधान है, क्योंकि कमान की एकता ज्यादा जरूरी है।

सेना प्रमुख मंगलवार को नई दिल्ली में अखिल भारतीय प्रबंधन संघ के 52 वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में युद्धों की अप्रत्याशितता पर प्रकाश डालने के साथ आधुनिक सैन्य तैयारियों के तीन प्रमुख पहलुओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि युद्ध हमेशा अप्रत्याशित होता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि युद्ध को लंबे समय तक जारी रखने के लिए दूसरी तरफ कौन सी तकनीक उपलब्ध है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए कि हमारे पास लंबे युद्ध के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हों।

उन्होंने कहा कि अगर आपके पास कम लागत वाली उच्च तकनीक है, तो भी आप अपने से बेहतर प्रतिद्वंद्वी को परास्त कर सकते हैं। उन्होंने अपनी बात को रेखांकित करने के लिए पिछले महीने अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यूक्रेन संघर्ष पर हुई शिखर वार्ता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्रपतियों ने बस इस बात पर चर्चा की थी कि कितनी जमीन का आदान-प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि जब रूस युद्ध में उतरा, तो हमने हमेशा सोचा था कि यह युद्ध केवल 10 दिनों तक चलेगा।

जैसा कि हमने देखा कि ईरान-इराक युद्ध लगभग 10 वर्षों तक चला, लेकिन जब ऑपरेशन सिंदूर की बात आई, तो हमें यकीन नहीं था कि यह कितने दिनों तक चलेगा। सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई लोगों ने सवाल उठाया कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई चार दिन के टेस्ट मैच में ही क्यों खत्म हो गई।

जनरल द्विवेदी ने इससे पहले शुक्रवार को लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ‘टिनी’ ढिल्लों (सेवानिवृत्त) की पुस्तक ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान के अंदर भारत के गहरे हमलों की अनकही कहानी के विमोचन समारोह में भी युद्ध में थल सेना की भूमिका के बारे में बताया था। यह पुस्तक चार दिवसीय युद्ध का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है, जिसमें भारत की सैन्य व्यावसायिकता, खुफिया प्रगति और कूटनीतिक सूझबूझ पर प्रकाश डाला गया है, जिसने पाकिस्तान और उसके आतंकी ढांचे के विरुद्ध एक सशक्त संदेश देते हुए क्षेत्रीय स्थिरता को सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया।

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