बाबा रामदेव का चमत्कार (ramdevra mandir) । भारत ने जहां परमाणु विस्फोट किया था वे वहां समीप रामदेवरा (ramdevra mandir) कस्बा है जहां बाबा रामदेव जी का बड़ा मन्दिर है। हिन्दू उन्हें रामदेवजी और मुस्लिम उन्हें रामसा पीर कहते हैं बाबा रामदेव को द्वारिकाधीश का अवतार माना जाता है। इन्हें पीरों का पीर ‘रामसा पीर’ कहा जाता है।
सबसे ज्यादा चमत्कारिक और सिद्ध पुरुषों में इनकी गणना की जाती है। हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव के समाधि स्थल रुणिचा में हर साल बड़ा मेला लगता है। जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने यहीं जीवित समाधि ली थी।

स्थानीय कहानियों के आधार पर कहा जाता है कि बाबा रामदेव जी के चमत्कार के चर्चे होने से दूर दूर से लोग रामदेवरा आने लगे।
एक बार पांच पीर रामदेवरा (ramdevra mandir) से गुजर रहे थे। उनको बाबा रामदेव जी से मिलकर चमत्कार के बारे में पता करना था। तभी पीरों की रास्ते में बाबा रामदेव से मुलाकात हुई। पांचों पीरों ने रामदेवजी से पूछा कि रुणिचा यहां से कितनी दूर है ? तब रामदेवजी ने कहा कि यह जो गांव सामने दिखाई दे रहा है वही तो रुणिचा है।

क्या मैं आपके रुणिचा आने का कारण पूछ सकता हूं? तब उन पांचों में से एक पीर बोला कि हमें यहां रामदेवजी से मिलना है और उसकी पीराई देखनी है। तब रामदेवजी बोले- हे पीरजी! मैं ही रामदेव हूं और आपके सामने खड़ा हूं, कहिए मेरे योग्य क्या सेवा है? पांचों पीर बाबा की बात सुनकर कुछ देर उनकी ओर देखते रहे फिर हंसने लगे और सोचने लगे कि साधारण-सा दिखाई देना वाला व्यक्ति ये पीर है क्या ?
रामदेव जी बाबा ने उनकी आवभगत की और ‘अतिथि देवो भव:’ की भावना से उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। बाबा के घर जब पांचों पीरों के भोजन हेतु जाजम बिछाई गई, तकिए लगाए गए, पंखे लगाए गए और सेवा-सत्कार के सभी सामान सजाए गए, तब भोजन पर बैठते ही एक पीर बोला कि अरे हम तो अपने खाने के कटोरे मक्का ही भूल आए हैं।

हम तो अपने कटोरों में ही खाना खाते हैं, दूसरे के कटोरों में नहीं, यह हमारा प्रण है। अब हम क्या कर सकते हैं? आप यदि मक्का से वे कटोरे मंगवा सकते हैं तो मंगवा दीजिए, वर्ना हम आपके यहां भोजन नहीं कर सकते। तब बाबा रामदेव ने उन्हें विनयपूर्वक कहा कि उनका भी प्रण है कि घर आए अतिथि को बिना भोजन कराए नहीं जाने देते। यदि आप अपने कटोरों में ही खाना चाहते हैं तो ऐसा ही होगा। इसके साथ ही बाबा ने अलौकिक चमत्कार दिखाया और जिस पीर का जो कटोरा था उसके सम्मुख रखा गया।
इस चमत्कार (परचा) से वे पीर सकते में रह गए। जब पीरों ने पांचों कटोरे मक्का वाले देखे तो उन्हें अचंभा हुआ और मन में सोचने लगे कि मक्का कितना दूर है। ये कटोरे तो हम मक्का में छोड़कर आए थे। ये कटोरे यहां कैसे आए? तब उन पीरों ने कहा कि आप तो पीरों के पीर हैं।
पांचों पीरों ने कहा कि आज से आपको दुनिया रामापीर के नाम से पूजेगी। इस तरह से पीरों ने भोजन किया और श्रीरामदेवजी को ‘पीर’ की पदवी मिली और रामदेवजी, रामापीर कहलाए।
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