नई दिल्ली। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और देश के कोने-कोने में फैला हुआ है। लेकिन, एक राज्य ऐसा है जो अब तक रेल सेवा से नहीं जुड़ा है। दरअसल, मिजोरम, भारत के पूर्वोत्तर में स्थित सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है लेकिन रेल नेटवर्क से कटा हुआ है। हालांकि, अब मिजोरम की राजधानी आइजोल आजादी के बाद पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जुड़ने के लिए तैयार है। क्योंकि, 8,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बनी बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन जल्द ही शुरू होने वाली है।
51.38 किलोमीटर लंबी बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन को भारतीय रेलवे का इंजीनियरिंग चमत्कार माना जा रहा है। बैराबी-सैरांग रेल लाइन आइजोल से 12 किलोमीटर दूर स्थित है। यह रेल लाइन दो प्लेटफार्मों, तीन पटरियों और आधुनिक सुविधाओं के साथ आइजोल के लिए रेल गेटवे का काम करेगी। क्या आप जानते हैं इस रेल लाइन को बनाने में कितना समय लगा और इसकी क्या विशेषताएं हैं। भारतीय रेलवे के लिए मील का पत्थर बैराबी-सैरांग रेल लाइन में कुल 48 सुरंगों का निर्माण किया गया है, जिनकी संयुक्त लंबाई 12 किलोमीटर से अधिक है।
इस रेल लाइन पर बड़े और छोटे 142 ब्रिज बनाए गए हैं। 104 मीटर की ऊंचाई के साथ, इस रेलवे लाइन पर स्थित एक पुल, कुतुब मीनार से भी ऊँचा है। यह अपने सेक्शन का सबसे ऊंचा पुल और भारतीय रेलवे का दूसरा सबसे ऊंचा ब्रिज भी है। खास बात है कि इस रेल लाइन को अन्य परिवहन साधनों के साथ इंटीग्रेट करने के लिए पांच सड़क, ओवरब्रिज और 6 अंडरपास रोड भी बनाए गए हैं।
रेल लाइन से क्या फायदे होंगे एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि नई रेलवे लाइन के कारण आइजोल और सिलचर के बीच सड़क मार्ग से यात्रा का समय सात घंटे से घटकर ट्रेन से सिर्फ़ 3 घंटे रह जाएगा। इस रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा होगी। रेल मंत्रालय के एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, बैराबी-सैरांग रेल लाइन, आर्थिक दृष्टि से मिजोरम के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि, इस रेलवे लाइन के साथ मिजोरम की क्षेत्रीय जीडीपी सालाना 2-3 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
ऐसे में 25,000 करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था वाले राज्य को हर साल 500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी।


