जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि आरबीआई के परिपत्र के अनुसार साइबर ठगी होने के तीन दिन के भीतर शिकायत करने पर बैंक संबंधित राशि उपभोक्ता को देने के लिए बाध्य है। अदालत ने आईडीबीआई बैंक की अपील को खारिज कर एकलपीठ के उस आदेश को सही माना है, जिसमें एकलपीठ ने बैंक को ठगी की गई पूरी 58.93 लाख रुपए की राशि छह फीसदी ब्याज सहित उपभोक्ता को लौटाने को कहा था।
एक्टिंग सीजे एसपी शर्मा और जस्टिस बीएस संधू की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि यदि पुलिस ठगी की गई राशि बरामद कर लेती है तो वह बैंक लेने के लिए अधिकृत है। उपभोक्ता राकेश तोतूका की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने बताया कि 11 फरवरी, 2022 की शाम 6.39 बजे से 12 फरवरी, 2022 को 1.30 एएम के बीच 14 बार में याचिकाकर्ता के बैंक खाते से 58.93 लाख रुपए ठगी के जरिए निकले थे। यह राशि तत्काल कई अन्य राज्यों के बैंक खातों में ट्रांसफर हो गई।
इस दौरान उसका पंजीकृत मोबाइल नंबर भी काम नहीं कर रहा था। ठगी को लेकर पीड़ित ने 13 फरवरी को बैंक को इसकी शिकायत भी दे दी। बैंक ने 9 बार ओटीपी भेजने के आधार पर 15.60 लाख रुपए ही लौटाने की बात कही। इसे चुनौती देते हुए पीड़ित की ओर से कहा गया कि आरबीआई के परिपत्र के अनुसार बैंक को ठगी गई पूरी राशि पीड़ित को अदा करनी चाहिए। इस पर एकलपीठ ने बैंक को आदेश जारी कर ठगी गई राशि ब्याज सहित पीड़ित को देने को कहा।
इस आदेश की अपील करते हुए बैंक की ओर से खंडपीठ में कहा गया कि मामले में बैंक की ओर से ओटीपी भेजे गए थे और इसमें उपभोक्ता की गलती रही है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अपील को खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही माना।


