कोलकाता, 17 मई ()। पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ में एकल-न्यायाधीश की पीठ के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें उत्तर दिनाजपुर जिले के कालीगंज में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म और हत्या की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया गया है।
पता चला है कि राज्य सरकार ने एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि दो सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों को तीन सदस्यीय एसआईटी में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
11 मई को मामले में राज्य पुलिस द्वारा जांच की धीमी प्रगति पर निराशा व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने कोलकाता पुलिस की विशेष आयुक्त दमयंती सेन, सेवानिवृत्त आईजी पंकज दत्ता और सीबीआई के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक उपेन बिस्वास को शामिल करते हुए एसआईटी के गठन का आदेश दिया।
तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व ने एसआईटी के गठन पर आपत्ति जताई। विशेष रूप से दत्ता को सदस्य के रूप में शामिल करने पर, क्योंकि वह हाल के दिनों में राज्य सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर विभिन्न समाचार चैनलों में काफी मुखर रहे।
राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति मंथा के आदेश को चुनौती देने के लिए एक खंडपीठ में जाने का फैसला किया। न्यायमूर्ति मंथा ने एसआईटी को यह भी अधिकार भी दिया कि यदि टीम के सदस्य जरूरी समझें तो पीड़िता के शव का दूसरा पोस्टमार्टम करा सकते हैं।
उन्होंने राज्य पुलिस को केस डायरी सहित मामले से जुड़े सभी दस्तावेज जल्द से जल्द एसआईटी को सौंपने का भी निर्देश दिया। पुलिस को अगली सुनवाई से पहले इस मामले में शुरुआती जांच रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया गया है।
25 अप्रैल को नाबालिग लड़की के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ स्थानीय लोगों के हिंसक विरोध के बाद कलियागंज के कुछ हिस्सों को युद्ध के मैदान में बदल दिया गया था।
पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने सबूत मिटाने की नीयत से शव को वहां से फौरन हटा दिया। किशोरी के शव को घसीटते हुए देखे जाने के बाद चार एएसआई को निलंबित कर दिया गया था।
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