भोजपुरी सितारों के बीच चुनावी जंग ने बिहार की राजनीति को गरमाया

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने राजनीति का रंग तो चढ़ाया ही, साथ में भोजपुरी सिनेमा के दो बड़े चेहरों के बीच तनातनी भी सुर्खियों में ला दी है। दरअसल, भोजपुरी इंडस्ट्री के दो बड़े चेहरे अब सियासी मैदान में आमने-सामने हैं। एक तरफ भाजपा के स्टार प्रचारक और गोरखपुर से सांसद रवि किशन हैं, तो वहीं दूसरी ओर राजद के टिकट पर छपरा से चुनावी मैदान में उतरे सुपरस्टार खेसारी लाल यादव हैं। इस बार इसमें भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की गूंज भी शामिल हो गई है। दोनों कलाकार अपने-अपने मंचों से जनता को रिझाने में जुटे हैं।

बिहार चुनाव के नतीजे चाहे जो हों, लेकिन इतना तय है कि इस बार राजनीति में भोजपुरी तड़का जमकर लगा है। दोनों कलाकारों के बीच की नोकझोंक अब खुलकर सियासी तकरार में बदल चुकी है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने खेसारी लाल यादव को नाचने वाला कह दिया। यह टिप्पणी खेसारी के समर्थकों को रास नहीं आई। जिसका पलटवार करते हुए खेसारी ने कहा कि उनकी पार्टी में तो चार-चार नचनिया हैं। खेसारी ने कहा कि मैं आज जिस मंच पर हूं, वो भोजपुरी इंडस्ट्री की मेहनत से मिला है।

मगर दुख इस बात का है कि जिन्होंने भोजपुरी को पहचान दिलाई, वही लोग आज राजनीति में जाकर इस भाषा और कला के लिए कुछ नहीं कर रहे। उन्होंने तंज कसते हुए आगे कहा कि इन लोगों से पूछा जाना चाहिए कि भोजपुरी इंडस्ट्री क्यों खत्म हो रही है? जिस छपरा में मेरी फिल्में सिल्वर जुबली चलती थीं, वहां आज एक दर्शक नहीं बचा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने भोजपुरी को बेचा और कलाकारों को हाशिए पर धकेल दिया। उनकी बातों का साफ इशारा रवि किशन, मनोज तिवारी, दिनेश लाल निरहुआ और पवन सिंह को माना जा रहा है।

खेसारी के बयानों के बाद रवि किशन भी चुप नहीं रहे। उन्होंने कहा कि खेसारी पहले हिंदुत्व और संस्कृति की बात करते थे, लेकिन अब दिशा बदल गई है। अगर छोटा भाई भी अधर्मी हुआ, तो बाण चलाना ही पड़ेगा। रवि किशन ने भोजपुरी सिनेमा के पतन के लिए भी अप्रत्यक्ष रूप से खेसारी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि जिस भोजपुरी सिनेमा को हमने राष्ट्रीय पहचान दिलाई, उसी को इन लोगों ने मजाक बना दिया।

उन्होंने आगे कहा कि मैं सदन में गया ताकि भोजपुरी को और ऊंचाई मिले, लेकिन अफसोस कि जब हमने राजनीति में कदम रखा, तो इन नए कलाकारों ने इंडस्ट्री को संजीवनी देने की जगह उसे सस्ते मनोरंजन में बदल दिया। खेसारी ने फिर मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा कि धर्म और राजनीति का मेल नहीं होना चाहिए। जो लोग हिंदुत्व के नाम पर राजनीति करते हैं, उन्हें पहले इंसानियत समझनी चाहिए। रवि किशन, मनोज तिवारी, निरहुआ और पवन सिंह मुझसे पहले आए थे, लेकिन इन्होंने भोजपुरी के लिए क्या किया?

इन लोगों ने मंचों पर भाषण दिए, फोटो खिंचवाई, लेकिन कलाकारों के लिए कोई नीति नहीं बनाई, न इंडस्ट्री को कोई सहारा मिला। जनता अब सब समझ चुकी है। इसके साथ ही उन्होंने रवि किशन के एक पुराने बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि रवि भइया तो जीने के लिए कुछ बनाते नहीं हैं, वो तो मरने के लिए बनाते हैं। उनकी जोकरई पर तो खुद सीएम योगी भी मुस्कुरा देते हैं। इन दोनों के बीच की जुबानी जंग ने न सिर्फ चुनाव को दिलचस्प बना दिया है, बल्कि भोजपुरी फैंस को भी दो खेमों में बांट दिया है।

सोशल मीडिया पर #RaviKishanVsKhesariLal ट्रेंड कर रहा है, जहां दोनों पक्षों के समर्थक अपने-अपने पसंदीदा सितारों के बचाव में पोस्ट कर रहे हैं।

Share This Article
Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal
Exit mobile version