बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी दलों की घोषणाएं मतदाताओं के सामने विकल्पों का पिटारा खोल रही हैं। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली महागठबंधन दोनों ही पक्ष मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इन घोषणाओं को लेकर सवाल उठाए हैं, जिससे बहस छिड़ गई है। एनडीए की ओर से नीतीश कुमार ने महिलाओं, युवाओं और किसानों के लिए कई योजनाएं घोषित की हैं। इनमें मुफ्त बिजली, रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर जोर दिया गया है।
वहीं महागठबंधन ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में 10 लाख नौकरियों का वादा दोहराया है, साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार का भरोसा दिलाया है। दोनों गठबंधनों की घोषणाएं एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती नजर आ रही हैं। प्रशांत किशोर ने इन वादों पर तंज कसा है और कहा है कि ये घोषणाएं सिर्फ चुनावी जुमले हैं। उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि वे पिछले प्रदर्शन के आधार पर फैसला करें, न कि नए वादों पर।
किशोर का मानना है कि बिहार की जनता अब खोखले वादों से ऊब चुकी है और असल मुद्दों पर ध्यान दे रही है। वादों के बीच असमंजस भी चुनावी माहौल गर्म है और मतदाता इन वादों के बीच असमंजस में हैं। विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे प्रमुखता से उभर रहे हैं। आगामी चुनाव में इन घोषणाओं का असर कितना होगा, यह मतदाताओं की पसंद पर निर्भर करेगा।


