छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान में महत्वपूर्ण सफलता मिली है। बुधवार को शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ योजना के तहत 51 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वालों में 9 महिलाएं और 42 पुरुष शामिल हैं। इनमें से कई पर गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं और इन पर कुल 66 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पित सभी नक्सलियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था जताई और समाज की मुख्यधारा में लौटने की इच्छा व्यक्त की।
अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक बीजापुर जिले में 461 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि 138 माओवादी मारे गए और 485 को गिरफ्तार किया गया है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की नीतियां प्रभावी हो रही हैं। राज्य शासन ने मुख्यधारा में लौटने वाले सभी 51 माओवादियों को 50,000 रुपये की पुनर्वास प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा, उन्हें सामाजिक पुनर्वास और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। सरकार की ‘पूना मारगेम’ नीति ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संवाद और विकास की नई संस्कृति स्थापित की है।
प्रशासन, सुरक्षा बलों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों के संयुक्त प्रयासों से अब हिंसा के स्थान पर स्थायी शांति का वातावरण बन रहा है। इस अभियान में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ, केरिपु-85, केरिपु-199, कोबरा-210 और 201 बटालियन की टीमों की सक्रिय भूमिका रही है। सुरक्षा बलों की लगातार रणनीतिक कार्रवाई और स्थानीय लोगों के विश्वास ने नक्सल गतिविधियों को कमजोर किया है। अधिकारी मानते हैं कि अब नक्सली क्षेत्रों में विकास योजनाओं के जरिए युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिशें सफल हो रही हैं। बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ.
जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि राज्य शासन की पुनर्वास नीति माओवादियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए आकर्षित कर रही है। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के परिजन भी अब चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जिएं। एसपी यादव ने बाकी माओवादियों से अपील की कि वे भ्रमित विचारधाराओं को त्यागें और आत्मसमर्पण कर समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जिएं, ताकि क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास कायम हो सके।

