दिल्ली में नीली झील इको टूरिज्म की शुरूआत

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 3 फरवरी ()। दिल्ली के असोला भाटी अभ्यारण के अंतर्गत नीली झील इको टूरिज्म स्थल की शुरूआत की गई है। विश्व आद्र्ता दिवस के अवसर पर दिल्ली सरकार की तरफ से दिल्लीवालों को नीली झील इको टूरिज्म स्थल के रूप में यह भेंट दी जा रही है। दिल्ली व अन्य स्थानों के लोग यहां की प्राकृतिक सुंदरता का आंनद ले सकते हैं। यहां पर पर्यटकों के लिए बनाई गई सभी सुविधाओं में इकोफ्रेंडली मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है। उदहारण के लिए यहां पर सोलर सिस्टम द्वारा संचालित चार कृत्रिम झरने विकसित किए गए हैं।

साथ ही यहां पर्यटकों के लिए एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पर्यटकों के लिए गोल्फकार्ट एवं इलेक्ट्रिक साईकिल की व्यवस्था उपलब्ध कराने और नीली झील के पास एक इको फ्रेंडली कैफेटेरिया का निर्माण करने के लिए विभाग के अधिकारियो को भी निर्देश जारी किए गए है। नीली झील के आस-पास 40 हेक्टेयर क्षेत्र में इकोफ्रेडली विकास का काम किया गया है और अन्य सुविधाओं के अलावा इस क्षेत्र में पेड़ों और उनके महत्व के बारे में पर्यटकों को शिक्षित करने के लिए साइनेज की भी व्यवस्था की गई है।

नीली झील की गहराई 100 फीट है और यहां विभाग द्वारा चार कृत्रिम झरने विकसित किए गए हैं जो सोलर सिस्टम से चलते हैं। इन झरनों की खास बात यह है कि 100 फीट ऊंची जगह से पानी नीचे झील में पहुंचता है। कृत्रिम झरने के कारण नीली झील की सुंदरता काफी दर्शनीय हो गई है।

जब तक गोल्फ कार्ट एवं इलेक्ट्रिक साईकिल की व्यवस्था नहीं हो जाती तबतक पर्यटक अपने निजी वाहन से यहां आ सकते हैं। नीली झील पर आने के लिए मुख्य तीन द्वार है। पहला तुगलकाबाद जो उपवन संरक्षक (दक्षिणी) कार्यालय के पास है, दूसरा गेट न. 10, जो कि छतरपुर होते हुए शनिधाम रोड पर स्थित है और तीसरा गेट नं. 7, जो कि गुरू जी मंदिर होते हुए अभ्यारण के अंदर को आता है। असोला भाटी वन्य जीवन अभ्यारण्य स्थित नीली झील इको टूरिज्म स्थल के प्रवेश द्वारा पर ही टिकट लेकर पर्यटक इस मनोरम स्थल का आनंद ले सकते हैं। आगे ऑनलाइन टिकट लेने की व्यवस्था भी की जाएगी।

गोपाल राय ने वन विभाग के द्वारा अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि वे नीली झील के पास इको फ्रेंडली कैफेटेरिया के इंतजाम करें ताकि पर्यटकों को यहां पर घूमने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। वन एवं पर्यावरण मंत्री ने बताया कि नीली झील के पास पर्यटन के लिए जितने भी निर्माण किए गए वे सभी लकड़ी, बांस आदि प्राकृतिक वस्तुओं से किए गए हैं।

जीसीबी/

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times