जयपुर। हर सुबह बस में बैठते समय सैकड़ों लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने की उम्मीद के साथ सफर शुरू करते हैं। कोई नौकरी पर जा रहा होता है, कोई घर लौटने की जल्दी में होता है, तो कोई अपने बच्चों के लिए बेहतर कल की तलाश में निकलता है। लेकिन इन दिनों यह सफर कई परिवारों के लिए जिंदगी की आखिरी यात्रा बनता जा रहा है। देशभर में लगातार बढ़ती बसों में आग लगने की घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इन हादसों के पीछे प्रशासनिक लापरवाही भी सामने आई है।
कई बसों की नियमित फिटनेस न होने के कारण शार्ट सर्किट का कारण बन जाती है, तो कहीं हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ जाती है, और कहीं डीजल टैंक के रिसाव से मासूम यात्री लपटों में घिर जाते हैं। सरकार हादसे के बाद मुआवजे की घोषणाएं तो करती है, लेकिन उन मांओं की सूनी आंखों का हिसाब कोई नहीं देता जिन्होंने अपने बेटे को आखिरी बार बस की खिड़की से हाथ हिलाते देखा था। एक चिंगारी सिर्फ लोहे की नहीं, पूरे परिवार की जिंदगी को राख में बदल देती है।
मनोहरपुर इलाके में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आई यात्रियों से भरी बस में आग लगने के बाद हड़कम्प मच गया। लोग खिड़कियां तोड़कर बाहर कूदने के लिए भागने लगे। धूंआ देख आसपास के लोग इकट्ठा हुए और उनमें से कुछ ने झुलसे लोगों को उपचार के लिए भिजवाने का प्रयास किया। आग में मजदूरों के साथ आई बकरी भी जल गई, जिससे आसपास के लोगों में भी हड़कप मच गया। 14 अक्टूबर को जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर चलती एसी स्लीपर बस में आग लग गई थी। इस हादसे में अब तक करीब 27 यात्रियों की मौत हो चुकी है।
24 अक्टूबर को कुरनूल में एसी बस से बाइक टकराने के बाद आग लग गई थी। हादसे में 20 लोग काल का ग्रास बन गए जबकि 19 यात्रियों ने बस से कूदकर जान बचाई। 25 अक्टूबर को एमपी के अशोकनगर जिले में शनिवार रात बस में आग लग गई। बस शिवपुरी जिले के पिछोर से इंदौर जा रही थी। बस पूरी तरह जल गई, लेकिन इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। 26 अक्टूबर को लखनऊ में आगरा एक्सप्रेस-वे पर चलती एसी बस का टायर पुट गया। इसके बाद बस में आग लग गई।
बस में 70 यात्री सवार थे, सभी बाल-बाल बचे।


