क्या शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाना उचित है?

vikram singh Bhati

धार्मिक परंपराओं में प्रसाद का स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है। चाहे मंदिर में हों या घर में, देवी-देवताओं को भोग लगाना और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना सदियों से हमारी आस्था की सबसे अहम कड़ी रहा है। लेकिन जब बात शिवलिंग के प्रसाद की आती है, तो कई लोग असमंजस में रहते हैं, क्या शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाना ठीक है? क्या यह कोई नियम तो नहीं तोड़ता? क्या इससे शुभ या अशुभ फल मिलता है?

इन सवालों का जवाब हमें शिव पुराण में विस्तार से मिलता है, जहां भगवान शिव की पूजा-विधि के साथ-साथ शिवलिंग पर अर्पित भोग को लेकर खास नियम बताए गए हैं। अनेक कथाओं और मान्यताओं में यह उल्लेख मिलता है कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को अन्य देवताओं की तरह नहीं खाया जाता। इस परंपरा के पीछे मजबूत आध्यात्मिक और पौराणिक आधार हैं, जिन्हें समझना हर भक्त के लिए आवश्यक है। शिव पुराण में शिवलिंग प्रसाद से जुड़े नियम शिव पुराण में एक महत्वपूर्ण प्रसंग वर्णित है, जिसके अनुसार शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को चण्डेश्वर को अर्पित माना जाता है।

चण्डेश्वर, भगवान शिव के गणों में अग्रणी हैं और उन्हें भूत-प्रेतों का अधिपति भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग पर अर्पित वस्तुएं सीधे चण्डेश्वर तक पहुंचती हैं। इसलिए इसे खाने की मनाही बताई गई है, क्योंकि यह मानकर चला जाता है कि वह प्रसाद साधारण मनुष्य के लिए नहीं, बल्कि शिवगणों के लिए समर्पित है। यदि कोई व्यक्ति शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को अनजाने में भी खा ले, तो इससे उसे अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इस नियम के पीछे भक्ति और ऊर्जा-चक्रों का गहरा संबंध है।

शिवलिंग को ऊर्जा का केंद्र माना गया है; इस पर चढ़ी सामग्री में आध्यात्मिक कंपन उत्पन्न होती हैं, जो साधारण मनुष्य के लिए उपयुक्त नहीं मानी जातीं। सामान्य रूप से शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाने की मनाही है, लेकिन शिव पुराण में इसे लेकर कुछ विशेष अपवाद बताए गए हैं। धातु के शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद शुभ माना गया है, यदि शिवलिंग चांदी, तांबा, पीतल, या पारद से बना है, तो उस पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना गया है। क्योंकि धातु ऊर्जा को अवशोषित करने के बजाय उसे संतुलित रखती है।

इन धातुओं पर चढ़े प्रसाद में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं माना जाता। शिव पुराण के अनुसार, निम्न प्रकार के शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए, पत्थर के शिवलिंग, मिट्टी के शिवलिंग, चीनी मिट्टी/सिरेमिक के शिवलिंग, इन सामग्रियों में ऊर्जा को सोखने की क्षमता अधिक होती है। माना जाता है कि इनमें नकारात्मक प्रभाव तेजी से अवशोषित होता है और प्रसाद में यह कंपन स्थानांतरित हो सकती हैं, जो मनुष्य के लिए उपयुक्त नहीं होती।

शिव पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि शिवलिंग के पास रखा प्रसाद, या शिवलिंग पर प्रत्यक्ष रूप से न चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है। यह सामान्य प्रसाद माना जाता है और इसके सेवन से किसी प्रकार का दोष नहीं लगता। प्रसाद को इधर-उधर फेंकना या नज़रअंदाज़ करना पाप माना गया है, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, शुभ कार्यों में बाधाएं आती हैं और यह देवताओं के प्रति अनादर समझा जाता है। धर्मशास्त्रों में जूठा प्रसाद किसी अन्य को देने पर मनाही है।

माना जाता है कि इससे तामसिक ऊर्जा बढ़ती है, और अपवित्रता का दोष लगता है। ताजे फल, दूध, दही, घी, शुद्ध जल, बिल्वपत्र, सफेद मिठाई, शहद, चावल, कभी भी मांस, शराब, नमक, हरी मिर्च, या प्याज-लहसुन जैसे तामसिक पदार्थ शिवलिंग पर न चढ़ाएं।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal