जयपुर। कैंसर रोगियों में अक्सर मैलिग्नेंट प्लूरल इफ्यूजन की समस्या होती है। यह स्थिति तब होती है जब फेफड़ों और छाती की परत के बीच बार-बार फ्लूइड भरता है, जिससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ और असुविधा होती है लेकिन नई तकनीक से अब मरीज घर पर ही अपने फेफड़ों में भरा पानी निकाल सकते हैं। यह जानकारी जयपुर के अस्पताल में हुई मैनेजमेंट ऑफ रिकरंट प्लूरल इफ्यूजन विषय पर सीएमई एवं वर्कशॉप में सामने आई, जिसमें 40 से अधिक चिकित्सकों ने भाग लिया। दिल्ली से आए वरिष्ठ फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ.
मनीष अग्रवाल ने बताया कि आईपीसी यानी इंडवेलिंग प्लूरल कैथेटर तकनीक जो कि एक पतली नलीनुमा ट्यूब होती है, जिसे लोकल एनेस्थीसिया में मरीज की छाती में डाला जाता है। यह ट्यूब लंबे समय तक लगी रह सकती है और मरीज घर पर ही आसानी से जमा हुआ पानी निकाल सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि मरीज को हर बार अस्पताल आने की आवश्यकता नहीं रहती। परिवारजन को भी इसे संचालित करने की सरल ट्रेनिंग दी जाती है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ.
अमित जैन ने बताया कि पहले ऐसे मरीजों को बार-बार अस्पताल आकर प्लूरल टैपिंग करानी पड़ती थी, जो मरीज और उनके परिवार दोनों के लिए कठिनाई भरा अनुभव होता था।


