जयपुर, 19 नवम्बर। मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा की पहल पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता एवं आमजन को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। लापरवाही या अनियमितताओं के मामलों में सख्त कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में गुणवत्तापूर्ण औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान मेडिकल सर्विसेज काॅरपोरेशन ने दवाओं के मानकों पर खरा नहीं उतरने पर इस वर्ष अब तक 7 फर्मों और 40 उत्पादों को डिबार किया है। यह निगम के गठन से लेकर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि आमजन को गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिलें। दवाओं की गुणवत्ता को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति पर काम करते हुए विभाग ने गुणवत्ता मानकों में खरा नहीं उतरने वाली दवाओं से संबंधित फर्मों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। 2011 से 2024 तक केवल 26 फर्में डिबार हुई थीं, जबकि 2025-26 में ही 7 दवा कम्पनियों को प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा 40 उत्पादों को डिबार किया गया है, जो अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
राजस्थान मेडिकल सर्विसेज काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक श्री पुखराज सेन ने बताया कि अस्पतालों में आपूर्ति से पहले दवाओं की जांच का फुल प्रूफ सिस्टम विकसित किया गया है। सप्लायर्स से क्रय की गई औषधियों को जिला औषधि भंडारों में क्वारंटाइन क्षेत्र में रखा जाता है और प्रत्येक दवा के बैच की जांच की जाती है। अमानक पाई गई औषधि के बैच को रिजेक्ट कर दिया जाता है। निगम की गुणवत्ता नीति के अनुसार औषधि नियंत्रक को भी लिखा जाता है, जिस पर औषधि नियंत्रक द्वारा संबंधित जिला औषधि भंडार गृह से सैम्पल लेकर जांच कराई जाती है।
निगम के स्तर पर टेस्टिंग के अतिरिक्त विभिन्न जिलों में औषधि नियंत्रण अधिकारियों द्वारा भी रैंडम आधार पर सैम्पल लिए जाते हैं। अमानक कोटि की जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर प्रकरण को अनुशासनात्मक समिति की बैठक में रखा जाता है। इस वर्ष में 7 फर्मों को अमानक श्रेणी या मिलावटी दवाओं की आपूर्ति करने पर 5 वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा, 40 दवाइयों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।


