सीकर। भरतपुर के बाद अब सीकर में सरकारी अस्पताल से मिली खांसी की दवा पीने से दो बच्चों की तबीयत खराब होने का मामला प्रकाश में आया है। दोनों बच्चों को जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। दोनों की तबीयत फिलहाल ठीक बताई जा रही है। मामला श्रीमाधोपुर के अजीतगढ़ स्थित मंडा हाथी देह गांव के प्राइमरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का है।
मंडा हाथी देह गांव निवासी अनिल सिंह ने बताया कि भतीजों किट्टू (3) और टिंकू (डेढ़ साल) को सर्दी जुकाम होने पर 25 सितंबर को बच्चों की मां सोनम ने गांव की पीएचसी में डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने बच्चों को खांसी की सीरप डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड और कुछ दवाएं दी। दवा पीते ही दोनों बच्चे बेहोश हो गए। इसके बाद दोनों बच्चों को शाहपुरा के प्राइवेट हॉस्पिटल में लेकर गए, तबीयत में सुधार नहीं होने पर डॉक्टरों ने बच्चों को जयपुर जेके लोन हॉस्पिटल रेफर कर दिया।
ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि मामला सामने आने के बाद राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सीरप की सप्लाई पर रोक लगा दी गई है। साथ ही इसके अलग-अलग बैच के सैंपल लिए हैं, जिन्हेंं जांच के लिए लैब भिजवाया गया है। यह जयपुर की कंपनी है, जिसकी सरना डूंगर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में मैन्युफेक्चरिंग यूनिट है। भरतपुर में भी बीमार हुए थे बच्चे। भरतपुर के बयाना में भी 27 सितंबर को इसी तरह का मामला सामने आया था।
यहां भी सरकारी हॉस्पिटल से मिली खांसी की दवा पीने से दो बच्चों और एक डॉक्टर की तबीयत बिगड़ गई थी। भरतपुर सीएमएचओ गौरव कपूर ने भी माना कि संबंधित डॉक्टर ने खुद भी वही दवा ली थी, जिससे उनकी तबीयत भी खराब हो गई थी।