चीन ने चार भारतीय कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करने की अनुमति दे दी है, जिससे ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को बड़ी राहत मिली है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को बताया कि जे उशिन लिमिटेड, डी डायमंड इलेक्ट्रिक इंडिया, कॉन्टिनेंटल एजी और हिताची एस्टेमो की भारतीय इकाइयों को यह लाइसेंस मिला है। यह छूट छह महीने बाद आई है, जब चीन ने अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर के बीच इन सामग्रियों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। ये रेयर अर्थ मैग्नेट शक्तिशाली मोटर्स, इलेक्ट्रिक वाहन और उन्नत उपकरणों के निर्माण में आवश्यक हैं।
भारतीय कंपनियां इनकी कमी से जूझ रही थीं, जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जुलाई में चीन दौरे के दौरान इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद यह सकारात्मक परिणाम सामने आया है। जायसवाल ने कहा कि आने वाले दिनों में और कंपनियों को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। चीन का यह कदम भारत-चीन संबंधों में सुधार का संकेत है, जो सीमा विवाद के बाद तनावपूर्ण थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में कहा था कि रेयर अर्थ मुद्दा पूरी दुनिया के लिए सुलझ गया है।
उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में इस पर चर्चा की थी। भारत ने डिप्लोमैटिक स्तर पर सक्रियता दिखाते हुए अपनी इंडस्ट्री की चिंताओं को प्रभावी ढंग से रखा। यह मंजूरी भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर ‘मेक इन इंडिया’ के तहत। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता बढ़ेगी और चीन पर निर्भरता कम होगी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका-चीन वार्ता का असर भारत पर सकारात्मक रहेगा।


