नई दिल्ली। अमेरिका पर चीन ने अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला किया है। इस साइबर हमले में 80 से ज्यादा देशों को निशाना बनाया गया था। अमेरिकी अधिकारियों ने करीब 1 साल तक इसकी जांच की और अब जाकर इसकी पुष्टि हुई है। यह साइबर अटैक इतना व्यापक था कि लगभग हर अमेरिकी की जानकारी चुरा ली गई। इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भी जानकारी चुरा ली गई है।
जांच में सामने आया है कि चीन की सरकार द्वारा प्रायोजित साल्ट टाइफून नाम के इस हैकिंग ग्रुप ने प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के सिस्टम को हैक कर लिया और इससे उन्हें लोगों के नेटवर्क तक पहुंच मिल गई। अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि चीन की खुफिया एजेंसी इस डेटा का फायदा उठा सकती है और राजनेताओं, जासूसों और एक्टिविस्ट को ट्रैक कर सकती है। बताया जा रहा है कि यह हमला पिछले साल अक्टूबर में किया गया था, जब डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के प्रेसिडेंट कैंडिडेट थे।
मामले की जांच करने वाली एफबीआई की पूर्व अधिकारी सिंथिया कैसर ने कहा कि यह साइबर अटैक इतना व्यापक था कि मुझे नहीं लगता कि कोई भी अमेरिकी इससे बच पाया होगा। इसे अब तक के साइबर अटैक में से सबसे बड़ा माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स ने इसे चीन की साइबर क्षमताओं का संकेत बताया है। इस साइबर अटैक के तार चीन के 3 टेक फर्म से जुड़े हैं। ये फर्म चीन की सेना और खुफिया एजेंसियों के लिए काम करते हैं।
जांचकर्ताओं का कहना है कि हैकर्स लोगों के फोन कॉल सुनने, टेक्स्ट पढ़ने और डिवाइस पर स्टोर फाइल हासिल करने में सक्षम थे।


