आजकल ज्यादातर लोग गार्डनिंग का शौक रखते हैं। चाहे बालकनी में थोड़ी सी जगह हो या घर के बाहर छोटा सा कोना, हर कोई अपनी मेहनत से हरी-भरी सब्जियां उगाना चाहता है। इससे एक तो ताज़ी सब्जियां घर में मिलती हैं और दूसरा, मिट्टी और पौधों के बीच रहना मन को भी सुकून देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी देखभाल के बावजूद आपके कुछ पौधे बढ़ते नहीं हैं या अचानक मुरझा जाते हैं? कई बार हमें लगता है कि हमने धूप, पानी और खाद सब सही दिया है, फिर भी पौधा कमजोर क्यों पड़ गया।
इसका एक बड़ा कारण हो सकता है, कम्पेनियन प्लांटिंग यानी किन पौधों को साथ लगाना चाहिए और किन्हें नहीं। कम्पेनियन प्लांटिंग क्या होती है? जैसे इंसानों में कुछ लोग एक-दूसरे के साथ नहीं पटते, वैसे ही कुछ सब्जियां भी एक-दूसरे की “राइवल” होती हैं। जब इन्हें साथ उगाया जाता है, तो ये मिट्टी के पोषक तत्वों के लिए लड़ती हैं या ऐसे तत्व छोड़ती हैं जो पास वाले पौधे की ग्रोथ रोक देते हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका किचन गार्डन घना और सेहतमंद दिखे, तो जरूरी है यह जानना कि कौन-सी सब्जियां एक-दूसरे की दुश्मन हैं।
गाजर और डिल को कभी न लगाएं। गाजर और डिल भले ही देखने में शुरुआती दिनों में काफी मिलते-जुलते लगते हैं, लेकिन दोनों को साथ लगाना पौधों की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। डिल गाजर की ग्रोथ को कम कर देता है और पौधे कमजोर पड़ने लगते हैं। साथ ही, दोनों पौधे एक जैसी मिट्टी और पोषक तत्वों की जरूरत रखते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और किसी का भी विकास ठीक से नहीं हो पाता। गाजर के साथ प्याज़, लहसुन या टमाटर उगाना सही रहता है।
ये एक-दूसरे की ग्रोथ को सपोर्ट करते हैं और कीटों से भी बचाते हैं। कॉर्न और टमाटर को साथ लगाना बड़ी गलती है। मक्का और टमाटर दोनों ही पौधे काफी मात्रा में पोषक तत्व खींचते हैं। जब इन्हें एक साथ लगाया जाता है, तो ये मिट्टी के पोषक तत्वों के लिए आपस में लड़ने लगते हैं। इतना ही नहीं, इन दोनों पर कॉर्न ईयरवॉर्म और टमाटर हॉर्नवॉर्म जैसे समान कीड़े हमला करते हैं। अगर एक पौधा संक्रमित हुआ तो दूसरा भी जल्द ही बीमार पड़ जाता है।
कॉर्न के साथ खीरा या सेम जैसी बेल वाली फसलें लगाना फायदेमंद रहता है। वहीं टमाटर के साथ तुलसी या गेंदा लगाना बढ़िया होता है, क्योंकि ये कीड़ों को दूर रखते हैं। प्याज-लहसुन के साथ बीन्स और मटर न लगाएं। प्याज और लहसुन अपने तीखे रस और खुशबू के लिए जाने जाते हैं, जो कई बार दूसरे पौधों की ग्रोथ को प्रभावित करती है। बीन्स और मटर जैसी फसलें जब इनके साथ लगाई जाती हैं, तो उनकी बढ़त धीमी हो जाती है।
प्याज और लहसुन मिट्टी में ऐसे रसायन छोड़ते हैं जो बीन्स और मटर की जड़ों पर असर डालते हैं। इससे पौधे कमजोर पड़ जाते हैं और फलन भी घट जाती है। प्याज या लहसुन के पास गाजर, फूलगोभी या खीरा लगाना अच्छा रहता है। ये एक-दूसरे की ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं। खीरे के साथ तुलसी या पुदीना न लगाएं। अगर आप अपने गार्डन में खीरे की बेल लगा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि उसके पास तुलसी, पुदीना या सेज जैसी हर्ब्स न लगाएं।
इन पौधों की खुशबूदार पत्तियां ऐसे तेल छोड़ती हैं, जो खीरे की ग्रोथ को रोक देती हैं। इसका असर यह होता है कि खीरे पर फूल कम लगते हैं, फल छोटे हो जाते हैं और स्वाद में हल्की कड़वाहट भी आ जाती है। खीरे के साथ मूली, बीन्स या लेट्यूस लगाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है और बेलों की ग्रोथ भी अच्छी होती है। आलू और टमाटर का कॉम्बिनेशन भी गलत है। हालांकि दोनों ही पौधे एक ही परिवार के हैं, लेकिन इन्हें साथ उगाना बीमारी का कारण बन सकता है।
आलू और टमाटर दोनों को ब्लाइट नामक फंगल रोग तेजी से पकड़ लेता है। जब इन्हें एक साथ लगाया जाता है, तो संक्रमण जल्दी फैलता है। आलू के साथ बैंगन या मटर जैसी फसलें लगाना ज्यादा सुरक्षित रहता है। कम्पेनियन प्लांटिंग के फायदे हैं: मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, कीटों और फंगस से पौधों की सुरक्षा होती है, पानी और खाद का इस्तेमाल कम होता है, पौधे तेजी से और हेल्दी बढ़ते हैं।


