चुनाव आयोग ने कांग्रेस के सवालों पर स्पष्टीकरण दिया है। बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने दिल्ली में पहली समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन शामिल हुए। बैठक में चुनाव नतीजों की समीक्षा की गई और संगठन की कमियों पर चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार, पार्टी यह समझने की कोशिश कर रही है कि बिहार में इतनी बड़ी हार क्यों हुई। बैठक के बाद कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर चुनाव में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया।
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी गड़बड़ियों के सबूत इकट्ठा कर रही है और 2 हफ्तों में इन्हें देश के सामने रखेगी। कांग्रेस ने इस चुनाव में 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन केवल 6 सीटें जीतीं। पार्टी का वोट शेयर 8.71 प्रतिशत रहा, जबकि 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 19 सीटें जीती थीं और 9.6 प्रतिशत वोट मिले थे। वेणुगोपाल ने मीडियाकर्मियों से कहा कि बिहार का चुनावी नतीजा अविश्वसनीय है। 90 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट भारतीय इतिहास में अभूतपूर्व है। कांग्रेस इस परिणाम का डाटा इकट्ठा कर रही है और गहन विश्लेषण कर रही है।
एक-दो सप्ताह के भीतर पार्टी ठोस सबूत पेश करेगी। उन्होंने कहा कि पूरी निर्वाचन प्रक्रिया संदिग्ध है और चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने बिहार में कुल निर्वाचकों की संख्या में अंतर को लेकर कांग्रेस के सवालों पर विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया। आयोग ने बताया कि 6 अक्टूबर को बताई गई संख्या और मतदान के बाद विज्ञप्ति में दर्शाई गई संख्या के बीच का अंतर नए मतदाताओं के कारण हुआ है। आयोग के अनुसार, 6 अक्टूबर को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा बिहार में कुल निर्वाचकों की संख्या 7.42 करोड़ बताई गई थी।
यह संख्या 30 सितंबर को विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित अंतिम निर्वाचक सूची पर आधारित थी। चुनाव की घोषणा के बाद भी निर्वाचन नियमों के अनुसार, प्रत्येक चरण में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 10 दिन पूर्व तक पात्र नागरिक नया नाम जोड़ने के लिए आवेदन कर सकते हैं। बिहार चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथियां क्रमश: पहला चरण: 17 अक्टूबर और दूसरा चरण: 20 अक्टूबर थी। आयोग ने बताया कि 01 अक्टूबर से लेकर दोनों चरणों में नामांकन की अंतिम तिथि से 10 दिन पूर्व तक बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए।
इन सभी आवेदनों की जांच की गई और जो भी आवेदन नियमों के अनुरूप पाए गए, उन्हें निर्वाचक सूची में शामिल किया गया। आयोग ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता मतदान के अपने अधिकार से वंचित न रहे। इसी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 30 सितंबर के बाद प्राप्त वैध आवेदनों को सम्मिलित करने पर निर्वाचकों की संख्या में लगभग तीन लाख की वृद्धि हुई। संशोधित संख्या—7.45 करोड़—का उल्लेख आयोग ने मतदान उपरांत जारी अपनी आधिकारिक विज्ञप्ति में किया है।
आयोग ने दोहराया कि मतदाता सूची में किया गया यह अद्यतन पूरी तरह नियमानुसार है और पारदर्शिता तथा समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।


