एआई व एमएल प्रौद्योगिकियों के साथ सीएसआईआर के तीन नए मिशन प्रोजेक्ट

Sabal Singh Bhati
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लखनऊ, 5 फरवरी ()। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) तीन नए मिशन प्रोजेक्ट लेकर आ रहा है। परियोजनाओं में वेस्ट टू वेल्थ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लनिर्ंग (एमएल) – बहुमुखी अनुप्रयोगों और बाजरा मिशन के लिए आधारित प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।

सीएसआईआर की पहली महिला महानिदेशक एन. कलैसेल्वी ने कहा, वर्तमान में मैं तीन नए मिशनों को प्राथमिकता दे रही हूं। वेस्ट-टू-वेल्थ मिशन कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण को शून्य लैंडफिल और शून्य-अपशिष्ट राष्ट्र बनाने के लिए सबसे आगे लाएगा। सभी 38 सीएसआईआर प्रयोगशालाएं समाज को अधिकतम लाभ प्रदान करने के लिए अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से कचरे के उपयोग में योगदान देंगी।

डीजी ने सुझाव दिया कि शहर स्थित चार प्रयोगशालाओं को न केवल अपनी विशेषज्ञता पर टिके रहना चाहिए बल्कि अपने शोध को संस्थानों की विशेषज्ञता की सीमाओं से परे ले जाना चाहिए।

सीमैप ने केले के पौधे के डंठल और अन्य कचरे से कटलरी विकसित करने, कचरे से वर्मीकम्पोस्ट और कृषि अपशिष्ट पर मशरूम उगाने और अन्य पर काम करके इस दिशा में कदम उठाए हैं।

कलैसेल्वी ने कहा कि एआई और एमएल मिशन वैज्ञानिक आविष्कारों और अनुसंधान को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए प्रौद्योगिकी का सबसे अच्छा उपयोग करेगा, जबकि बाजरा मिशन बाजरा की नई किस्मों को विकसित करने की आशा के साथ आता है जो पौष्टिक हैं और विभिन्न जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती हैं।

कलैसेल्वी ने कहा, विज्ञान और महिलाओं में बहुत तालमेल है। सभी महिला वैज्ञानिकों और विज्ञान के छात्रों को पता होना चाहिए कि विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसे किसी भी समय फिर से शुरू, पुनर्जीवित और नवीनीकृत किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जैसे कंप्यूटर को कभी भी रिबूट किया जा सकता है, वैसे ही विज्ञान को भी रिबूट किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला वैज्ञानिक या छात्रा किसी कारण से अपनी पढ़ाई या शोध जारी नहीं रख पाती है, तो एक साल या उससे अधिक के अंतराल के बाद भी वह बहुत अच्छी तरह से रिबूट कर सकती है।

डीजी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उच्च शिक्षा संस्थानों में विज्ञान के छात्रों की संख्या बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हमें वर्तमान में विज्ञान में महिलाओं के प्रतिशत के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे न केवल विज्ञान, बल्कि लगभग हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। वे दिन दूर नहीं जब पुरुष समुदाय हर क्षेत्र में पुरुष छात्रों और पेशेवरों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष अभियान की मांग करेगा।

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times