डबरा मंडी में किसानों के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया

डबरा: मध्य प्रदेश की डबरा कृषि उपज मंडी में किसानों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यहां व्यापारी ‘कच्ची पर्ची’ के माध्यम से किसानों की फसल का भाव तय कर रहे हैं और बाद में कांटे पर तौल के समय दाम घटा देते हैं, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल 100 से 200 रुपये तक का सीधा नुकसान हो रहा है। किसानों का आरोप है कि यह शोषण लंबे समय से चल रहा है, लेकिन मंडी प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

इस पूरी प्रक्रिया को स्थानीय भाषा में ‘मल्हार’ कहा जाता है, जो अब किसानों के लिए आर्थिक तंगी का पर्याय बन चुका है। पहले सुनिए किसानों ने क्या कहा कैसे होता है ‘कच्ची पर्ची’ से खेल? मंडी पहुंचने वाले किसानों की फसल का सौदा आढ़तियों और व्यापारियों द्वारा एक कच्ची पर्ची पर लिखकर किया जाता है। इस पर्ची पर एक शुरुआती भाव तय होता जिससे किसान संतुष्ट होकर अपनी उपज तुलवाने के लिए कांटे पर ले जाता है। लेकिन असल खेल यहीं से शुरू होता है।

जब फसल कांटे पर पहुंचती है, तो व्यापारी मनमाने ढंग से भाव कम कर देते हैं। उदाहरण के लिए, अगर पर्ची पर भाव 2000 रुपये प्रति क्विंटल लिखा गया तो तौल के समय उसे 1800 या 1900 रुपये कर दिया जाता है। इस तरह किसानों को हर क्विंटल पर भारी नुकसान उठाना पड़ता है। नीलामी न होना बड़ी वजह मंडी में इस मनमानी का एक बड़ा कारण फसलों की नीलामी (ऑक्शन) न होना है। नीलामी की व्यवस्था न होने से व्यापारियों को अपनी मर्जी से दाम तय करने की खुली छूट मिल जाती है।

इसका सीधा फायदा व्यापारी और आढ़तिए उठाते हैं, जबकि अपनी मेहनत की कमाई के लिए मंडी आए किसान ठगा हुआ महसूस करते हैं। प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल यह पहली बार नहीं है जब डबरा मंडी में हो रही इस धांधली को उजागर किया गया हो। मीडिया ने कई बार इस मुद्दे को उठाया है और शासन-प्रशासन तक किसानों की आवाज पहुंचाई है। इसके बावजूद, मंडी के अधिकारी और कर्मचारी इस समस्या से जानकर भी अंजान बने हुए हैं। किसानों के साथ हो रही इस धोखाधड़ी ने मंडी प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सवाल यह है कि क्या मंडी प्रशासन की मिलीभगत से यह सब चल रहा है, या फिर वे इन समस्याओं पर ध्यान ही नहीं देना चाहते? फिलहाल, किसान हर दिन अपनी फसल लेकर मंडी पहुंच रहे हैं और इस शोषण का शिकार हो रहे हैं। अब देखना होगा इस खबर के सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस कदम उठाते या मामला पहले की तरह ही नजरअंदाज कर दिया जाएगा।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal
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