फोन टैपिंग मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण को जमानत दी

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 10 फरवरी ()। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को कर्मचारियों की कथित अवैध फोन टैपिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यह कहते हुए जमानत दे दी कि प्रथम दृष्टया, यह मानने के वाजिब आधार हैं कि वह दोषी नहीं है।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, प्रथम दृष्टया यह मानने के उचित आधार हैं कि आवेदक अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल सितंबर में 2009 और 2017 के बीच एनएसई कर्मचारियों के फोन टैपिंग से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी।

चार्जशीट एनएसई की चित्रा रामकृष्ण के खिलाफ दायर की गई थी, जो इस मामले में लगभग सात महीने तक हिरासत में रही।

चित्रा, जो पहले से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मामले में जमानत पर हैं, को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत और कुछ शर्तो जैसे जांच में शामिल होने और देश नहीं छोड़ने पर जमानत दी गई थी।

न्यायमूर्ति सिंह ने यह भी कहा : इस मामले में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आवेदक ने अपराध की कोई संपत्ति या आय अर्जित की है या प्राप्त की है। इसके अलावा, मेरे सामने कोई आरोप या सबूत पेश नहीं किया गया है जो यह सुझाव दे कि आवेदक ने छुपाया, कब्जा किया, इस्तेमाल किया। अपराध की किसी भी आय को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश किया या दावा किया।

ईडी ने इस आधार पर उसकी जमानत याचिका का विरोध किया था कि वह साजिश की सरगना थी।

न्यायमूर्ति सिंह ने हालांकि कहा कि भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत, प्रथम दृष्टया, कोई अनुसूचित अपराध स्थापित नहीं होता है और इस प्रकार धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों को आकर्षित नहीं किया जा सकता।

अदालत ने यह भी नोट किया कि ईडी ने किसी भी शिकायत या पीड़ित की पहचान नहीं की है, जिसे अभियुक्तों द्वारा धोखे या धोखाधड़ी के कारण गलत नुकसान हुआ है। पिछले साल अगस्त में राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।

हाईकोर्ट ने 8 दिसंबर को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुख पांडेय को भी जमानत दे दी थी।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा था कि व्यक्ति की अनुमति के बिना फोन टैपिंग या रिकॉर्डिग कॉल गोपनीयता का उल्लंघन है।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा था, मैं प्रथम दृष्टया यह मानता हूं कि बिना सहमति के फोन लाइन टैप करना या कॉल रिकॉर्ड करना निजता का हनन है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित निजता का अधिकार फोन कॉल रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं देता। केवल संबंधित व्यक्तियों की सहमति से ही ऐसा किया जा सकता है।

ईडी का मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर था। ईडी ने दावा किया था कि पांडे को रामकृष्ण की मदद के लिए एमटीएनएल लाइनों को टैप करने के लिए 4.54 करोड़ रुपये मिले थे और ये अपराध की आय थी।

एजेंसी के एक सूत्र ने कहा, पांडे द्वारा संचालित सिक्योरिटीज प्रा. लिमिटेड पर आरोप लगाया गया है कि चित्रा रामकृष्ण ने इस फर्म का इस्तेमाल एनएसई कर्मचारियों के फोन टैप करने के लिए किया था। एनएसई कर्मचारियों द्वारा सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच किए गए फोन कॉल को टैप और रिकॉर्ड किया गया था। आरोप लगाया गया है कि पांडे ने अवैध रूप से फोन कॉल टैप करने में मदद की

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times