जयपुर। दीपावली केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह प्रकाश और सकारात्मकता का विज्ञान भी है। जब दीप जलते हैं, तो वे न केवल घरों को रोशन करते हैं, बल्कि मानव मन, रिश्तों और समाज में भी उजाला भरते हैं। आधुनिक न्यूरोसाइंस और पॉजिटिव साइकोलॉजी ने यह साबित किया है कि दीपावली जैसे त्योहार मस्तिष्क के हैप्पी हार्मोन्स को सक्रिय कर मनुष्य को अधिक प्रसन्न, सहयोगी और रचनात्मक बनाते हैं। दीपावली की शुरुआत सफाई और सजावट से होती है, जिसे वैज्ञानिक डिक्लटरिंग थेरेपी मानते हैं, जो मानसिक तनाव को कम करती है और मन को हल्का बनाती है।
न्यूरोसाइंस, पॉजिटिव साइकोलॉजी और सोशल बिहेवियरल रिसर्च के कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि दीपावली जैसे सामूहिक उत्सव मस्तिष्क में सेरोटोनिन, डोपामाइन, एंडोर्फिन्स और ऑक्सीटॉसिन जैसे हैप्पी हार्मोन्स को सक्रिय करते हैं। ये हार्मोन न केवल तनाव को कम करते हैं, बल्कि व्यक्ति को अधिक आशावादी, सहानुभूतिपूर्ण और रचनात्मक बनाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दीपावली की तैयारी, सफाई, पूजा, दीयों की सजावट और परिजनों से जुड़ाव – ये सभी कॉग्निटिव रीफ्रेमिंग की प्रक्रिया को सक्रिय करते हैं, जिससे व्यक्ति अपने जीवन के नकारात्मक पहलुओं को नई रोशनी में देखने लगता है।
दीपोत्सव -2025: दीपावली से मिली 25 शुभ प्रेरणाएँ1. प्रकाश- दीपक का उजाला शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा।2. स्वच्छता- घर की सफाई मेन्टल डिटॉक्स का काम करती है।3. सौहार्द- साथ उत्सव मनाना यानी ऑक्सिटोसिन बढ़ाना, रिश्तों में मिठास लाना। 4. उमंग- रंग, रोशनी और संगीत मूड को बेहतर बनाते हैं। 5. सकारात्मक सोच – अंधकार से प्रकाश का दर्शन हमें रीफ्रेमिंग सिखाता है।6. समर्पण दान- सेवा और भक्ति ऐंपेथी हार्मोन्स की सक्रियता। 7. समृद्धि- लक्ष्मी पूजन में धन के साथ आभार की भावना भी समृद्धि लाती है।8. परिवार- एकता – मिल-बैठना सामाजिक जुड़ाव को पुनर्जीवित करता है।9.
धैर्य- दीपावली का अंधकार से उजाले का मार्ग जीवन में दृढ़ता जगाता है।10. अनुशासन- तय समय पर की जाने वाली पूजा और तैयारी आदत में स्थिरता लाती है।11. खुशहाली- त्योहारों में शामिल होना कॉर्टिसॉल घटाता है और मन को शांत करता है।12. आशा- दीपों की रोशनी होप सर्किट को सक्रिय करती है, जो मस्तिष्क को नई दिशा देती है।13. करुणा- दूसरों को उपहार देना ऐंपेथी सेंटर को सक्रिय करता है।14. संयम- दीपावली सादगी का संदेश देती है; यही माइंडफुल लिविंग का आधार है।15. सृजनशीलता- रंगोली, दीप सजावट और हस्तकला रचनात्मकता बढ़ाते हैं।16.
संतुलन- पूजा और ध्यान शरीर की सर्केडियन रिद्म को स्थिर करते हैं।17. शांति- दीयों की लौ आंखों और मन दोनों में थीटा वेव्ज जगाती है।18. सहयोग- सामूहिक कर्म और उत्सव सामाजिक तनाव को कम करते हैं।19. कृतज्ञता- दीपावली आभार व्यक्त करने का उत्सव है, यह जीवन संतोष को बढ़ाता है।20. साहस- अंधकार का सामना करने का भाव जीवन में संघर्ष की प्रेरणा देता है।21. उत्सव- संस्कृति से जुड़ाव सामाजिक पहचान को मजबूत करता है।22. सह-अस्तित्व- मिट्टी के दीपक प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता जगाते हैं।23. आत्मविश्वास- त्योहारों में भागीदारी व्यक्ति को आत्म-सम्मान देती है।24.
प्रेम- दीपावली सीमाओं से परे प्रेम फैलाने का पर्व है। लोग आपस में मिले हैं, परिवार जुटते हैं।25. नवजागरण- अंततः दीपावली भीतर के अंधकार को मिटाकर आत्म-प्रकाश की ओर ले जाती है।