लंदन/इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक और शिक्षाविद् डॉ. ए.के. द्विवेदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का मान बढ़ाया है। उन्होंने लंदन में आयोजित एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय होम्योपैथी कॉन्फ्रेंस में हिमेटोहाइड्रोसिस, यानी ‘खूनी पसीने’ जैसी दुर्लभ बीमारी के होम्योपैथिक उपचार पर अपना शोध प्रस्तुत किया, जिसे दुनियाभर से आए विशेषज्ञों ने सराहा। यूनाइटेड किंगडम (UK) के हैनीमैन कॉलेज ऑफ होम्योपैथी द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में डॉ. द्विवेदी ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि कैसे होम्योपैथी इस गंभीर और दुर्लभ बीमारी के इलाज में कारगर साबित हो सकती है।
वह इस सम्मेलन में पूरे मध्य प्रदेश से भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले अकेले चिकित्सक थे। नई पुस्तक का विमोचन सम्मेलन के दौरान डॉ. द्विवेदी की नई पुस्तक ‘हिमेटोहाइड्रोसिस एवं बोन मैरो डिसऑर्डर्स का होम्योपैथिक उपचार’ का भी विमोचन किया गया। इस पुस्तक में उन्होंने खूनी पसीने और अस्थि-मज्जा (बोन मैरो) से जुड़े विकारों पर अपने वर्षों के शोध, अनुभव और अध्ययन को साझा किया है। पुस्तक विमोचन के अवसर पर हैनीमैन कॉलेज ऑफ होम्योपैथी, लंदन के प्राचार्य डॉ. शशि मोहन शर्मा और बुल्गारिया की डॉ. लोरा जॉर्जिवा समेत कई अन्य देशों के विशेषज्ञ चिकित्सक उपस्थित रहे। डॉ.
द्विवेदी ने अपने व्याख्यान में भारतीय पारंपरिक जीवनशैली और आहार-विहार के वैज्ञानिक महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुड़ और चने का सेवन रक्त बढ़ाने में सहायक होता है, जबकि रात में हल्दी वाला दूध और सुबह तुलसी के पत्ते खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। “यदि भारतीय पारंपरिक जीवनशैली को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनाया जाए, तो गंभीर बीमारियों की रोकथाम और उपचार, दोनों में होम्योपैथी की प्रभावशीलता और सशक्त रूप से सिद्ध हो सकती है।” — डॉ. ए.के. द्विवेदी गौरतलब है कि डॉ. ए.के.
द्विवेदी भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले सीसीआरएच के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य हैं। इसके अलावा, वह देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर की कार्यपरिषद के सदस्य और शिक्षा स्वास्थ्य न्यास, नई दिल्ली के प्रांत संयोजक भी हैं।


