जयपुर। प्रोबासी बंगाली कल्चरल सोसायटी के 31वें दुर्गा पूजा महोत्सव का समापन विजयादशमी के अवसर पर उल्लास और भक्ति भाव के साथ हुआ। सी-स्कीम स्थित जय क्लब लॉन सुबह से ही श्रद्धालुओं से भरा रहा, जहाँ भक्तों ने माँ दुर्गा को अंतिम बार भोग अर्पित कर आरती उतारी। इस अवसर पर परंपरागत अनुष्ठानों का विशेष महत्व रहा। सबसे पहले श्रद्धालुओं ने माँ की कृपा को घर-घर तक पहुँचाने के लिए दर्पण विसर्जन किया।
इसके उपरांत मंच पर आयोजित पारितोषिक वितरण समारोह में पूरे महोत्सव के दौरान हुई सभी प्रतियोगिताओं जैसे शंख वादन, नृत्य, गीत-संगीत, चित्रकला, निबंध लेखन और अन्य गतिविधियों के विजेताओं को सम्मानित किया गया। विजेताओं को स्मृति-चिह्न और उपहार भेंट किए गए। इसके बाद विवाहित महिलाओं ने उल्लासपूर्वक सिंदूर खेला में भाग लिया। इस दौरान महिलाओं ने माँ दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर एक-दूसरे को लगाया और अपने सुहाग तथा परिवार के कल्याण की मंगलकामना की। शाम को माँ दुर्गा की प्रतिमाओं की भव्य विसर्जन यात्रा निकाली गई।
ढाक की गूंज, शंखनाद और “जय मां दुर्गा” के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। भक्तगण पारंपरिक नृत्यों और गीतों के साथ माँ को विदा करने निकले। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने माँ के चरणों में नमन किया। अंत में सभी प्रतिमाओं का नेवटा बांध में विधिवत विसर्जन किया गया। भक्तों की आँखों में माँ को विदा करने का दुःख साफ झलक रहा था, लेकिन साथ ही अगले साल पुनः माँ दुर्गा के आने की कामना और उत्साह ने वातावरण को आस्था से सराबोर कर दिया। समिति अध्यक्ष डॉ. एस.के.
सरकार ने कहा, “विजयादशमी केवल माँ दुर्गा को विदा करने का दिन नहीं है, बल्कि यह शक्ति, विजय और नए संकल्पों का प्रतीक है। माँ हमें हर बार यह संदेश देती हैं कि अन्याय पर न्याय और अंधकार पर प्रकाश की ही विजय होती है।