जयपुर। शहर में बंगाली समाज द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा के भव्य आयोजन धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं। प्रवासी बंगाली कल्चरल सोसायटी के जय क्लब लॉन में दुर्गा पूजा महोत्सव की षष्ठी की शाम श्रद्धा और उल्लास का अद्भुत संगम रही। सूर्यास्त होते ही सजे-धजे पंडाल में दीपों और रंगीन रोशनी की जगमगाहट फैल गई। अधिवास आमंत्रण के बाद संध्या आरती के साथ ही ‘जय मां दुर्गा’ और ‘बोलो दुर्गा मां’ की जय के गगनभेदी जयकारों ने पूरा वातावरण भक्तिमय बना दिया। शाम का मुख्य आकर्षण मां दुर्गा की भव्य झांकी रही।
सिंह पर आरूढ़ देवी का महिषासुर वध का दृश्य बिजली और धुएं के विशेष प्रभावों के साथ जीवंत प्रतीत हो रहा था। ढाक की ताल और शंखध्वनि ने वातावरण को और भी दिव्यता प्रदान की। सांस्कृतिक संध्या में पारंपरिक नृत्यों, भक्तिगीतों और बच्चों की नृत्य प्रतियोगिता ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह के अध्यक्ष डॉ. एसके सरकार ने कहा कि जब ढाक बजता है और जय मां दुर्गा के स्वर गूंजते हैं तो लगता है मानो स्वयं शक्ति हमारे बीच अवतरित हो गई हैं।
षष्ठी की यह संध्या हमें याद दिलाती है कि मां दुर्गा केवल शक्ति की प्रतीक नहीं, बल्कि आनंद आशा और नई शुरुआत की दूत भी हैं। दुर्गाबाड़ी में उमड़ पड़े श्रद्धालु। बनीपार्क स्थित दुर्गाबाड़ी में दुर्गा पूजा महोत्सव के दूसरे दिन ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। शाम ढलने के साथ ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर रात तक चलता रहा। लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया।


