जयपुर। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम और जीवन रक्षा के लिए एक प्रभावी एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। ट्रॉमा केयर पॉलिसी बनाई जाएगी और लेवल-1 एवं लेवल-2 ट्रॉमा सेंटर्स को मिशन मोड में सुदृढ़ किया जाएगा। राज्य सरकार जल्द ही इसके लिए रोड मैप तैयार करेगी, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली जनहानि को न्यूनतम किया जा सके। मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास ने शनिवार को सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के निरीक्षण के दौरान आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के दिशा-निर्देशानुसार प्रदेश में सड़क सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं पर गहन अध्ययन एवं निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस रिपोर्ट के आधार पर एक प्रभावी एक्शन प्लान तैयार कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। ट्रॉमा सेंटर्स की सुविधाओं में सुधार किया जाएगा। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेशभर में सड़क हादसों के दौरान त्वरित उपचार उपलब्ध कराने के लिए ट्रॉमा सेंटर्स में सुविधाओं को और बेहतर बनाया जाएगा। ट्रॉमा सेंटर्स में पर्याप्त संख्या में आईसीयू बेड्स, जीवन रक्षक उपकरण, जांच एवं दवाओं की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
साथ ही रोगी भार के अनुपात में प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ की उपलब्धता के प्रयास किए जाएंगे। मुख्य सचिव ने ट्रॉमा सेंटर में आपातकालीन कक्ष, आईसीयू एवं वार्ड में जाकर उपलब्ध सुविधाओं और उपचार की प्रक्रिया को बारीकी से देखा। उन्होंने रोगियों और उनके परिजनों से भी संवाद कर फीडबैक लिया। साथ ही ट्रॉमा सेंटर में संचालित बीएलएस ट्रेनिंग सेंटर का भी निरीक्षण किया और यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रतिभागियों से संवाद किया। मुख्य सचिव ने कहा कि सवाई मानसिंह अस्पताल का ट्रॉमा सेंटर लेवल-1 श्रेणी का है।
यहां के प्रशिक्षण केंद्र में चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ सहित अन्य व्यक्तियों को प्रभावी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस ट्रॉमा सेंटर सहित देशभर में सड़क सुरक्षा एवं जीवन रक्षा के लिए अपनाई जा रही बेस्ट प्रैक्टिसेज को प्रदेशभर में लागू किया जाएगा। अब तक 8 हजार को बीएलएस का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा गायत्री राठौड़ ने ट्रॉमा सेंटर में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यहां संचालित स्किल लैब देश की पहली लैब है, जहां सड़क दुर्घटना के दौरान घायलों को बेसिक लाइफ सपोर्ट देने का निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। अब तक यहां पर 8 हजार से ज्यादा प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। शासन सचिव परिवहन शुचि त्यागी ने बताया कि जल्द ही राजस्थान में 13 बीएलएस ट्रेनिंग सेंटर बनाए जाएंगे।


