बारिश के कारण बिजली की मांग में कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती जारी

Tina Chouhan

जयपुर। राजस्थान में अतिवृष्टि ने बिजली डिमांड पांच हजार मेगावाट घटा दी है। अब बिजली कंपनियों को बाहर से मंहगी बिजली नहीं खरीदनी पड़ रही। फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त सप्लाई के अभाव के कारण कटौती जारी है। डिमांड बढ़ने पर हर साल गुजरात, मध्यप्रदेश से दो से चार हजार मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ती थी, लेकिन इस बार प्रदेश के थर्मल पॉवर प्लांट का उत्पादन स्थिर बना रहा। इससे लागत में दस से 12 प्रतिशत तक बचत हुई। मांग में कमी का कारण तापमान में गिरावट है। एसी, कूलर आदि में खपत कम हुई है।

बरसात और मौसम की नमी से खपत में स्वाभाविक गिरावट आई है। वर्तमान में आपूर्ति डिमांड से अच्छी खासी मेल खा रही है क्योंकि मांग कम हो गई है। इससे बिजली कटौती की घटनाओं में कमी आई है। यदि बादलों का असर ज़्यादा देर तक बना रहा तो सौर ऊर्जा उत्पादन और भी कम हो सकता है, जो आपूर्ति के संतुलन को प्रभावित कर सकता है। जैसे ही मौसम साफ होगा और तापमान बढ़ेगा, बिजली की मांग फिर से बढ़ सकती है।

पिछले सालों में गर्मियों में बिजली की डिमांड 20 हजार मेगावाट तक पहुंच जाती थी, वहीं इस बार यह औसतन 11-12 हजार मेगावाट रह गई है। तापमान में 4-5 डिग्री की गिरावट आई, जिससे एसी और पंखों का उपयोग घटा। घरेलू कनेक्शनों पर 8-10 प्रतिशत की कमी आई, लेकिन किसानों के धान और सब्जियों की फसल के लिए पंप चलाने से कृषि क्षेत्र में 15 प्रतिशत तक डिमांड बढ़ी। कोटा और उदयपुर जैसे दक्षिणी क्षेत्रों में भी यही ट्रेंड देखा गया, जहां नदियों का जलस्तर बढ़ने से सिंचाई पर निर्भरता कम हुई।

सितंबर के पहले 10 दिनों में बिजली खपत 15% कम रही। चंबल और बनास के आसपास सड़कें जलमग्न होने से कोयला ट्रकों की आवाजाही रुकी। सूरसागर थर्मल पावर प्लांट में कोयला स्टॉक 20% कम हो गया, लेकिन प्लांटों के पास 15-20 दिनों का स्टॉक है। वैकल्पिक रूट्स में रेलवे से कोयला लाने पर जोर है।

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