शानदार भोज और बारात, लेकिन दूल्हा-दुल्हन नहीं

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। सजावट, मेहंदी, संगीत और बेफिक्र नाच-गाना है। शानदार भोज है और बाराती भी हैं, लेकिन दूल्हा और दुल्हन? नहीं। इनकी बिल्कुल जरूरत नहीं है। शहरी भारत में पार्टी करने की नई दुनिया में आपका स्वागत है। बैंड, बाजा, बारात सब कुछ मौजूद है और भव्य भारतीय ‘शादियां’ जितनी मजेदार होती हैं, ये भी उतनी ही मजेदार होती हैं। बस इसमें परिवार की झंझट और असली दूल्हा-दुल्हन नहीं होते हैं।

‘फर्जी शादी’ थीम इन दिनों शहर के युवाओं के बीच बहुत ज्यादा लोकप्रिय बन चुकी है जहां लोग बिना किसी प्रतिबद्धता के मस्ती भरे जश्न में झूमते नजर आते हैं। नोएडा के रूफटॉप रेस्तरां ताहिया के संस्थापक निशांत कुमार ने हाल ही में एक फर्जी शादी समारोह का आयोजन किया था, जिसमें टिकटें पूरी तरह बिक चुकी थीं। उन्होंने इस संबंध में कहा, “इन शादियों में मेहमान तैयार होकर आते हैं, नाचते हैं, खाते हैं और भूमिका निभाते हैं।

यह सब पूरी तरह से आनंद के लिए किया जाता है।” कुमार ने कहा, “यह एक अनोखा विचार है, जो पुरानी यादों, ड्रामा और भारतीय उत्सवों के प्रेम से जन्मा है। शादियां भारतीय संस्कृति, भोजन, संगीत और भावनाओं के सबसे रंग-बिरंगे रूपों में से एक होती हैं लेकिन साथ ही ये निजी और अक्सर बेहद उलझाऊ भी होती हैं। तभी हमने सोचा कि क्यों न लोगों को एक भव्य भारतीय शादी का सारा मज़ा, ड्रामा और शाही ठाठ-बाट दिया जाए, लेकिन इसमें कोई पारिवारिक राजनीति नहीं हो।” ये विचार काम कर गया।

1,500 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के टिकट वाले इन कार्यक्रमों में गैर-शादी के मौसम में भी पार्टी में शामिल होने वाले लोग अपने अंदर के बारातियों को बाहर निकालते हैं। अनोखे निमंत्रण और जबरदस्त कार्यक्रम के विवरण को नजरअंदाज करना मुश्किल होता है। इसमें लड़कियां मेहंदी लगवा रही होती हैं, चमचमाते लहंगे पहने होती हैं। वहीं, लड़के कढ़ाईदार कुर्तों में नजर आते हैं। अजनबी एक-दूसरे के दोस्त बन जाते हैं और सब मिलकर ‘डांस फ्लोर’ पर उतर आते हैं और शादी का जश्न मनाते हैं। लेकिन वास्तव में यह बस दिखावटी होता है।

गुड़गांव में ऐसी ही एक फर्जी शादी में शामिल हुईं 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा नताशा घई ने कहा, “इन शादियों में क्या पहनें क्या न पहनें इस बात का कोई तनाव नहीं होता जबकि असली शादी में ऐसा होता है क्योंकि वहां नाक-भौं सिकोड़ने वाले रिश्तेदार होते हैं।

इन शादियों में हम बस अपने दोस्तों के साथ होते हैं, ढोल की थाप पर नाचते हैं, दुनिया की परवाह किए बिना खाने-पीने का आनंद लेते हैं।” उन्होंने कहा, “यह आजादी का एहसास था और बिल्कुल शादी जैसा माहौल था।” दिल्ली में मीडिया क्षेत्र में काम करने वालीं अपूर्वा गुप्ता आमतौर पर सामाजिक आयोजनों से दूर रहती हैं, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि वह अपनी दोस्त और उसकी मां के साथ साउथ दिल्ली में बिना किसी बंधन वाली ‘शादी’ में खुशी-खुशी शामिल हुईं।

उसे जिस चीज़ ने सबसे ज़्यादा आकर्षित किया, वो खुद शादी का विचार नहीं था, बल्कि उन सब चीज़ों की गैरमौजूदगी थी जो आमतौर पर ऐसे आयोजनों को थका देने वाला बना देती हैं। गुप्ता ने हंसते हुए अंदाज में कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे किसी तथाकथित शादी जैसे समारोह में इतना मजा आएगा। मैं पूरी रात शादी के गानों पर ऐसे नाची जैसे कोई देख ही नहीं रहा हो और सच कहूं तो वाकई कोई देख नहीं रहा था। सब अपनी मस्ती में डूबे हुए थे।

न कोई दूर के रिश्तेदारों से जबरन बातचीत करनी पड़ी, न ही दूल्हा-दुल्हन के साथ फोटो खिंचवाने का झंझट था। सच बताऊं तो अगर शादियां ऐसी हों, तो मैं और भी शौक से जाऊं।” पिछले महीने मुंबई, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, बेंगलुरु और गोवा में कई फर्जी शादियां आयोजित की गईं, और इस महीने भी कई और ऐसी शादियां होने वाली हैं। ये चलन और भी बहुत बढ़ने वाला है। कुमार इसके बाद एक दूसरे विचार के साथ तैयार हैं। उन्होंने कहा, “एक बार यह चलन पुराना हो जाएगा तो हम अगली पार्टी के लिए तैयार हैं।

चाहे वो शादी के बाद की पार्टियां हों या ब्रेकअप, रिश्तों या बॉलीवुड के गानों पर आधारित थीम वाली रातें हो। इन पार्टियों की मूल बात वही रहती है: खाना, मौज-मस्ती और कल्पना। इसका स्वरूप बस बदलता रहता है।” ‘फूड कंसल्टिंग फर्म’ ‘सीक्रेट इंग्रीडिएंट’ के संस्थापक सिड माथुर के अनुसार, ऐसे समारोह अनुभव से भरे भोजन का बेहतरीन मौका भी देते हैं। आज के उपभोक्ता सिर्फ अच्छा खाना नहीं चाहते। उन्हें इसके साथ एक कहानी, कुछ चौंकाने वाला और थोड़ा हटके अनुभव भी चाहिए।

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