किसानों की फसल पर मौसम का कहर, मुआवजे की उम्मीदें धूमिल

Tina Chouhan

देईखेड़ा। इस बार क्षेत्र के किसानों पर मौसम ने कहर बरपा दिया है। लगातार हुई बेमौसम बारिश से सोयाबीन की करीब 60 प्रतिशत फसल पहले ही नष्ट हो चुकी थी, वहीं हाल की बारिश ने खेतों में खड़ी फसल को फिर से हरा कर किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। किसान अब मजबूरी में दवा डालकर फसल सुखाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे कटाई संभव हो सके। इस अतिरिक्त खर्च ने पहले से परेशान किसानों की आर्थिक स्थिति पर और बोझ डाल दिया है।

किसानों का कहना है कि दोबारा हरियाली आने से फसल के दाने सिकुड़ने लगे हैं, जिससे उपज और वजन दोनों में कमी आने की आशंका है। वहीं खेत खाली न होने से सरसों और गेहूं की बुवाई में भी देरी हो रही है। झपायता के किसान रामेश्वर नागर ने बताया कि फसल कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। अब दवा डालकर किसी तरह फसल को सुखाने की कोशिश कर रहे हैं।

जिला परिषद सदस्य किशनचन्द्र वर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से अब तक सोयाबीन, मूंग और उड़द की बर्बाद हुई फसलों के लिए मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है। वहीं लबान क्षेत्र के किसान राजेन्द्र मीणा, महेश मीणा और रामावतार मीणा ने कहा कि ह्लन राम से राहत मिली, न राज से। किसानों का कहना है कि यदि शीघ्र राहत की घोषणा नहीं की गई तो अगली फसल की तैयारी भी अधर में रह जाएगी।

क्षेत्र बेमौसम की बरसात से सोयाबीन मूंग व उड़द की फसल नष्ट हो चुकी है, जिसके नुकसान की रिपोर्ट भी सरकार को सम्बंधित विभाग भेज चुके है। परन्तु सरकार ने भी तक भी फसल खराबे के लिये मुवावजा वितरित कर किसानों को राहत पहुंचाने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है, जिससे किसान अपनी आगामी फसल के लिये राहत महसूस करें। -दिनेश व्यास देईखेड़ा। कृषि विभाग के साथ मिलकर क्षेत्र क्रॉफ कटिंग कर फसल के नुकासान का आंकलन कर रिपोर्ट सरकार को भेजी जा चुकी है।

फसल खराबे के लिये मुवावजा हेतु को दिशा निर्देश सरकार से प्राप्त नही हुए है। -राजेन्द्र मीणा, तहसीलदार, इंदरगढ़।

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