पिता ने बेटी के घुड़सवारी शौक के लिए खोली एकेडमी

Tina Chouhan

जयपुर। बेटी के घुड़सवारी के शौक को पूरा करने के लिए पिता हेमन्त शर्मा ने घुड़सवारी की एकेडमी ही बना डाली। जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाइंग टूर्नामेंट भी कराने की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ले ली लेकिन विडंबना देखिए, 12 साल की नन्ही घुड़सवार नविष्ठा शर्मा, जिसके सपनों पर यह एकेडमी खड़ी है, इसमें हिस्सा ही नहीं ले पा रही। पिछले हफ्ते कैवेलरी ग्राउंड में हुए टूनार्मेंट में नविष्ठा घोड़े से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई। अस्पताल में उसका आॅपरेशन हुआ और फिलहाल वह बिस्तर पर है।

बेटी का दर्द सीने में दबाए पिता हेमन्त शर्मा टूनार्मेंट स्थल पर डटे हुए हैं। हेमन्त ने कहा, ये सभी बेटियां भी मेरी ही हैं। अगर इनमें से कोई आगे बढ़ेगी, तो मुझे उतनी ही खुशी होगी, जितनी अपनी बेटी की सफलता पर होती है। जैसा नाम वैसा ही बना है ग्राउण्डसिरसी के पास बना हॉर्स हेवन इक्वेस्ट्रियन स्पोर्ट्स क्लब सचमुच घुड़सवारों के लिए स्वर्ग जैसा है। ड्रेसाज, जंपिंग और अन्य इवेंट्स के लिए अलग-अलग मैदान, और वॉर्म-अप एरीना जहां युवा सवार अभ्यास कर सकें। यहां हर सुविधा मौजूद है।

आज करीब 30 से ज्यादा बच्चे सुबह-शाम घुड़सवारी की बारीकियां सीख रहे हैं। दो पूर्व भारतीय घुड़सवार संभाले हैं कोचिंग की जिम्मेदारी। एकेडमी में कोचिंग की जिम्मेदारी दो पूर्व भारतीय घुड़सवारों के पास है। वे अपने अनुभव और अनुशासन से बच्चों को पेशेवर अंदाज में तैयार कर रहे हैं। खास बात यह कि कोच और सपोर्ट स्टाफ क्लब परिसर में ही रहते हैं, ताकि हर पल खिलाड़ियों को सहारा मिल सके। व्यवसायी हेमंत शर्मा ने कुछ साल पहले इस अकादमी की नींव रखी थी। शर्मा का कहना है कि मेरी बेटी को इस खेल में गहरी रुचि है।

इसी वजह से मैंने यह अकादमी शुरू की ताकि उसे और उसकी उम्र के अन्य खिलाड़ियों को बेहतरीन प्रशिक्षण और सुविधाएं मिल सकें। हमारी कोशिश है कि यहां से देश के शीर्ष स्तर के घुड़सवार निकलें। भविष्य में राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी करने का भी हमारा लक्ष्य है। एकेडमी में फिलहाल 22 घोड़े हैं। हर घोड़े के लिए अलग कमरा और उसका अलग अटेंडेंट नियुक्त है। क्लब का रखरखाव उच्च स्तर का है और प्रतिदिन करीब 30 युवा खिलाड़ी यहां घुड़सवारी की बारीकियां सीख रहे हैं।

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