सेनाओं को लंबी लड़ाइयों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता: राजनाथ सिंह

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्धों की बढ़ती जटिलता और अनिश्चितता के मौजूदा दौर में केवल सैनिकों या हथियारों की संख्या ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, रणनीति और युद्ध के स्वरूप के अनुरूप तुरंत उसका जवाब देने में सक्षम सेनाएं ही अपना लोहा मनवा सकेंगी। उन्होंने देश और सेनाओं को लंबी लड़ाइयों के लिए तैयार रहने तथा इसके लिए जरूरी क्षमता और संसाधनों की उपलब्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी, खुफिया जानकारी, अर्थव्यवस्था और कूटनीति के संयुक्त प्रयास पर निर्भर करेंगे।

जो देश प्रौद्योगिकी, रणनीति और अनुकूलनशीलता के त्रिकोण में महारत हासिल कर लेगा वही सच्ची वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानवरहित यान और उपग्रह-आधारित निगरानी भी भविष्य के युद्धों को आकार दे रही हैं। सिंह ने आर्मी वॉर कॉलेज में युद्ध, युद्धनीति और युद्ध-संघर्ष पर तीनों सेनाओं के अपनी तरह के पहले सेमिनार रण संवाद को संबोधित करते हुए प्रौद्योगिकी और चौंकाने वाली रणनीतियों के गठजोड़ को आधुनिक युद्ध की बढ़ती जटिलता तथा अनिश्चितता का मुख्य कारण बताया।

उन्होंने नवाचारों और अप्रत्याशित चुनौतियों के लिए तैयार रहने की जरूरत पर बल देते हुए मौजूदा प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने पर भी जोर दिया ताकि समय के साथ आगे रहा जा सके। रक्षा मंत्री ने भविष्य के युद्धों की अनिश्चितता तथा निरंतर बदलते स्वरूप पर कहा कि आधुनिक युद्ध अब जमीन, समुद्र और हवा तक ही सीमित नहीं रहे अब वे अंतरिक्ष और साइबरस्पेस तक भी फैल गए हैं। उपग्रह प्रणालियाँ, उपग्रह-रोधी हथियार और अंतरिक्ष कमान केंद्र शक्ति के नए साधन हैं। आज हमें केवल रक्षात्मक तैयारी की ही नहीं, बल्कि एक सक्रिय रणनीति की भी आवश्यकता है।

भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं होंगे, वे प्रौद्योगिकी, खुफिया जानकारी, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का संयुक्त प्रयास होंगे। जो राष्ट्र तकनीक, रणनीति और युद्ध के स्वरूप के अनुरूप ढलने के त्रिकोण में महारत हासिल कर लेगा, वही सच्ची वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा। उन्होंने कहा कि यह इतिहास से सीखने और एक नया इतिहास लिखने, भविष्य का अनुमान लगाने और उसे आकार देने का समय है।

सिंह ने जोर देकर कहा कि केवल सैनिकों की संख्या या हथियारों के भंडार का आकार अब पर्याप्त नहीं है, क्योंकि साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानवरहित हवाई वाहन और उपग्रह-आधारित निगरानी भविष्य के युद्धों को आकार दे रहे हैं। उन्होंने सटीक निर्देशित हथियारों, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी और डेटा-संचालित सूचना को किसी भी संघर्ष में सफलता की आधारशिला बताया। रक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि इसका कोई अंत नहीं है और यह अनिश्चितता युद्ध के परिणामों को बदलने की ताकत रखती है।

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है कि जब तक हम एक नवाचार को पूरी तरह से समझ पाते हैं, तब तक दूसरा उभर आता है – जो युद्ध की दिशा को पूरी तरह से बदल देता है। मानवरहित हवाई वाहन, हाइपरसोनिक मिसाइलें, साइबर हमले और एआई-संचालित निर्णय लेने जैसे उपकरण आधुनिक संघर्षों में अप्रत्याशित मोड़ ला रहे हैं। आश्चर्य के इस तत्व की सबसे खास बात यह है कि अब इसका कोई स्थायी रूप नहीं रहा। यह बदलता रहता है, हमेशा अपने साथ अनिश्चितता लेकर चलता है।

और यही अनिश्चितता विरोधियों को उलझा देती है, और अक्सर युद्ध के परिणाम में निर्णायक कारक बन जाती है। सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को प्रौद्योगिकी संचालित युद्ध का असाधारण उदाहरण बताते हुए कहा कि इसमें भारत ने युद्ध का मैदान और उसके नियम तय किये तथा दुश्मन को उसके लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में जो भी देश युद्ध का मैदान तय करता है, वही खेल और उसके नियमों को नियंत्रित करता है, और दूसरों के पास अपनी पसंद के विपरीत शर्तों पर प्रतिक्रिया देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।

हमारा प्रयास युद्ध के मैदान और खेल के नियमों को स्वयं निर्धारित करना होना चाहिए, जिससे विरोधी को वहाँ लडऩे के लिए मजबूर किया जा सके, ताकि बढ़त हमेशा हमारे पास रहे।

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