कोटा। कोटा शहर की गलियों और सड़कों पर गणेश विसर्जन के बाद एक अजीब नजारा देखने को मिल रहा है। गणपति महोत्सव के समापन और बप्पा के विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाई गई पूजन सामग्री जगह-जगह बिखरी पड़ी है। जहां पिछले 10 दिनों से ढोल-नगाड़ों और भक्ति भजनों के साथ शहर गणपति बप्पा के जयकारों से गूंज रहा था, अब उन्हीं मार्गों पर नारियल, माला, फूल, कपड़े और अन्य सामग्री कचरे के ढेर का रूप लेती नजर आ रही है।
आयोजन समिति को भी चाहिए कि श्रद्धा और जिम्मेदारी के बीच संतुलन साधते हुए ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे आस्था भी बनी रहे और पर्यावरण के साथ जलीय जीव भी सुरक्षित रहे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजन सामग्री पवित्र मानी जाती है, लेकिन इसे कचरे में डालना आस्था का अपमान है। साथ ही पॉलिथीन, कपड़े और नारियल तालाबों को प्रदूषित कर रहे हैं, जिससे जलीय जीवों पर भी खतरा ना मंडराए। भीतरी कुण्ड व किशोर सागर तालाब में विसर्जन के बाद भी मूर्तियां पानी में तैरती नजर आई। पूजा की सामग्री को इधर-उधर फेंकना गलत है।
बप्पा के विसर्जन के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में भीतरी कुंड, किशोर सागर तालाब और चंबल बैराज तक पहुंचे। जहां श्रद्धा और भावनाओं के साथ गणेश प्रतिमाओं का जल में विसर्जन हुआ, वहीं दूसरी ओर पूजन सामग्री विसर्जन स्थलों के आसपास ही छोड़ दी। लोग समझते हैं कि बप्पा को विदाई देकर उनका कर्तव्य पूरा हो गया, लेकिन उसी वक्त वे यह भी भूल जाते हैं कि पूजा की सामग्री को इधर-उधर छोड़ने से भगवान की आराधना से जुड़े प्रतीकों का अनादर होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा में प्रयुक्त सामग्री पवित्र मानी जाती है।
इसे किसी भी स्थिति में अपवित्र स्थान पर फेंकना या गंदगी में मिलाना उचित नहीं है। लेकिन शहर के हालात इसके विपरीत दिखाई दे रहे हैं। विसर्जन स्थलों के आसपास नारियल के छिलके, कपड़े, फूल और प्रतिमाओं के साथ रखी गई वस्तुएं गंदगी का ढेर बना रही हैं। इस स्थिति से आस्था के साथ भगवान की प्रतिमा का भी अनादर होता है। वहीं नारियल, कपड़े और पॉलिथीन को भी पानी में फेंका गया है इससे तालाबों और नदियों का पानी दूषित होता है और जलीय जीवों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
अनंतचतुर्दशी के दिन किशोर सागर तालाब, भीतरी कुण्ड में विनायक की मूर्ति विसर्जन करने के दौरान श्रद्धालुओं में होड़ लगी रही। हम विनायक के लिए एक साल इंतजार करते हैं उसके बाद गणेश चतुर्थी रूपी विशेष दिन में पांडालों, घरों में व मंदिरों में बिठाते हैं। दस दिन तक सेवा-पूजन करने बाद श्रद्धालुओं में विसर्जन करने के लिए होड़ लग जाती है। इस कारण उनके साथ आने वाली पूजन सामग्री को भी व्यवस्थित नहीं रखकर इधर उधर या पानी में फेंक दी जाती है। इस तरह उनका अनादर भी होता है।
अनंतचतुर्दशी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने गणपति का विसर्जन किया। किशोर सागर तालाब में रविवार को भी गणपति विसर्जन के बाद मूर्तियां तैरती रही। इस तालाब में छोटी से लेकर बड़ी गणेश मूर्तियों का भी विसर्जन हुआ। इनमें अधिकांश मिट्टी की थी जो पानी में आसानी से समाहित हो गई, वहीं कुछ मूर्तियां ऐसी रही जो विसर्जन के बाद भी तालाब में समाहित नहीं हो पाई।
विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं के द्वारा गणेश विसर्जन के बाद पूजन सामग्री, फूल माला इधर-उधर फेंकने के बाद सफाईकर्मियों के आफत बन जाती है जिसके कारण सुबह से शाम तक इसी काम में लगे रहते हैं। वहीं नगर निगम को भी चाहिए कि विसर्जन के दौरान पूजन सामग्री के लिए रखने के लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि बाद में सफाईकर्मियों के लिए परेशानी ना बनें। भूरिया गणेश के मुख्य पुजारी सुशील गौतम ने बताया कि गणेश विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं की जिम्मेदारी यहीं खत्म नहीं हो जाती कि वे सामग्री विसर्जन के बाद के नीचे रखकर चले जाएं।
बल्कि जरूरत है इसे सम्मानजनक तरीके से निस्तारित करने की है। तालाबों और कुण्डो में मूर्तियों के साथ आस्था रूपी पूजन सामग्री को फेंकना भी गलत है। वहीं गली-मोहल्लों तथा सड़कों पर इस तरह की सामग्री से बिखरी मिलने से उस सामग्री का अपमान होता है। धार्मिक संस्थाएं, समाजसेवी संगठन और प्रशासन संयुक्त रूप से मिलकर इस समस्या का हल निकाल सकते हैं। लोगों को भी समझना होगा कि भगवान की मूर्ति का सम्मान तब है जब उसका विसर्जन शास्त्रसम्मत और पर्यावरण के अनुकूल हो।
आस्था के नाम पर की गई लापरवाही से भगवान की मूर्ति का भी अनादर होता है। यह कहते हैं पुजारी गणपति विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं को उनकी पूजन सामग्री का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। गणपति विसर्जन के दौरान उनके साथ आने वाली पूजन सामग्री को इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। वहीं पानी में उनकी सामग्री को नहीं डालकर अलग व्यवस्थित स्थान पर रखना चाहिए। वहीं पर्यावरण संरक्षक, आयोजन समिति व धार्मिक संस्थाओं को भी इसको लेकर अलग से व्यवस्था बनानी होगी। श्रद्धालुओं को चाहिए कि गणपति वंदना के साथ हमें उनकी पूजन सामग्री का भी ध्यान रखना होगा।
हजारों-लाखों श्रद्धालुओं के साथ गणपति विसर्जन के दौरान आने वाली पूजन सामग्री को इधर-उधर फेंकने के बाद लोगों के पैरों व वाहनों या इधर-उधर बिखरी रहती है तो आस्था का भी अनादर होता है। अत: इसके लिए गणपति बिठाने वाले श्रद्धालुओं को भी ध्यान देना होगा।- सुशील गौतम, भूरिया गणेश मंदिर, सिंहपोलद्वार, कोटा श्रद्धालुओं को मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा का ही उपयोग करना चाहिए ताकि विसर्जन के बाद उसमें समाहित हो जाए।
पीओपी की मूर्तियों को तालाब में न डालकर प्रशासन द्वारा बनाई गई जगह पर रखनी चाहिए ताकि पानी में मूर्ति तैरती हुई नहीं मिले तथा जल के अंदर जीवों को नुकसान भी ना पहुंचे। वहीं प्रतिमाओं के साथ आने वाली पूजन सामग्री को भी इधर-उधर न डालकर व्यवस्थित स्थानों पर ही रखना चाहिए ताकि सड़क या इधर-उधर बिखराव ना हो। इसके लिए श्रद्धालुओं को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। इसके लिए पर्यावरण तथा जल प्रदूषण ज्यादा ना हो। आयोजन समितियों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। पूजन सामग्री का विसर्जन के बाद अनादर ना हो।- पं.
मुकेश बोहरा, मनसापूर्ण गणेश, पाटनपोल, कोटा गणेश चतुर्थी के विशेष दिन हम घरों, पांडालों में गणपति को बिठाते हैं तथा दस दिनों तक लगातार भजन-कीर्तन करते हैं। सुबह शाम रोजाना महाआरती करते हैं। अनंतचतुर्दशी के दिन महाआरती के बाद विसर्जन के लिए ले जाते हैं। गणपति विसर्जन के बाद उनके साथ आने वाली पूजन सामग्री का भी अपमान या अनादर नहीं होना चाहिए। इसके लिए श्रद्धालुओं को भी इसका ध्यान रखना होगा। गणपति विसर्जन के बाद हम उनकी पूजन सामग्री की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं। तथा इधर-उधर फेंक देते हैं।
इसके लिए प्रशासन के द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं का पालन करने के साथ तय की निर्धारित जगह पर रखना चाहिए।- पं. हर्षवधन गौतम, गणेशपाल, बूंदी रोड, कोटा इनका कहना है किशोर सागर तालाब पर घूमने गए श्याम गर्ग ने बताया कि हम गणपति की दस दिनों तक धूमधाम से पूजा-अर्चना करते हैं। अनंतचतुर्दशी के दिन हम गली-मौहल्लों, पांडालों में पूजा-अर्चना तथा महाआरती के बाद गणपति विसर्जन के लिए झांकियां रूपी शोभायात्रा में शामिल होकर भीतरी कुण्ड तथा किशोर सागर तालाब पर पहुुंचते हैं, उस दौरान हमें उनके साथ आने वाली पूजन सामग्री का भी ध्यान रखना चाहिए।
इधर-उधर नहीं फेंक कर अलग से व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि विसर्जन के बाद आस्था का अनादर ना हो। भीतरी कुण्ड के बाहर मिले रवि गौड ने बताया कि विसर्जन के दौरान पूजन सामग्री का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हजारों श्रद्धालु आते हैं लेकिन जिनका हमने दस दिन तक पूजन किया है उनकी पूजन सामग्री व अन्य चीजे प्रशासन द्वारा तय की स्थानों पर रखना चाहिए ताकि वो किसी के पैरों में ना आए। इसके लिए पर्यावरण संरक्षक, आयोजन समिति व प्रशासन को संयुक्त विचार करके अलग से व्यवस्था बनानी होगी ताकि पूजन सामग्रीरूपी आस्था किसी के पैरों में ना आए।