गंगा भैरव घाटी में प्रे-बेस निर्माण के लिए वर्क ऑर्डर जारी

Tina Chouhan

अजमेर। शहर के नजदीक काजीपुरा स्थित गंगा भैरव घाटी कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में शिकार के अभाव में लेपर्ड आए दिन आसपास के आबादी क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए अब वन विभाग यहां 4 हैक्टेयर वन भूमि पर प्रे-बेस (शिकार) बनाने की तैयारी कर रहा है। जिससे कि लेपर्ड को जंगल में ही शिकार मिल सके और वे आबादी क्षेत्रों का रुख ना करें। इस पर 90 लाख रुपए खर्च होंगे। विभाग ने इसके तहत होने वाले विविध कार्यों के लिए संबंधित फर्म को वर्कऑर्डर जारी कर दिया है।

अगले चार से पांच महीने में यह तैयार होगा। गंगा भैरव घाटी कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में लेपर्ड सफारी प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने यहां होने वाले निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया है। जिसमें एंट्री गेट, टूरिस्ट रेस्ट हाउस, वन चौकी, पेट्रोलिंग ट्रेक के काम शामिल हैं। मौजूदा समय में इस रिजर्व फोरेस्ट में लेपर्ड की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। लेकिन वन क्षेत्र में उनके भोजन के लिए वन्य जीवों की कमी है।

यही कारण है कि आए दिन लेपर्ड बोराज, तारागढ़, अजयसर, काजीपुरा, खरेखड़ी सहित जंगल से सटे आसपास के आबादी क्षेत्राें का रूख कर बकरी, बछड़े आदि मवेशियों को अपना शिकार (भोजन) बना रहे हैं। ऐसे में लोग भी डरे सहमे हुए हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि यहां प्रे-बेस को बढ़ाने का काम प्राथमिकता से किया जाए। यह होता है प्रे-बेसजंगल में शिकार करने वाले जीवों के लिए भोजन का आधार, शिकार का आधार या शिकार क्षेत्र को प्रे-बेस कहते हैं।

यहां एनक्लोजर का निर्माण कर चितल सहित अन्य छोटे वन्य जीवों को रखा जाता है और पानी के स्त्रोत तैयार किए जाते हैं। यहां इनकी वंश वृद्धि होती है। ऐसे में लेपर्ड, टाइगर सहित बड़े वन्य जीवों का जंगल में ही शिकार व पानी उपलब्ध हो जाता है। उप वन संरक्षक राकेश शर्मा ने बताया कि गंगा भैरव घाटी कंजर्वेशन रिजर्व में 4 हैक्टेयर वन भूमि पर प्रे-बेस तैयार करने के लिए संबंधित फर्म को वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया है। इस पर 90 लाख रुपए खर्च होंगे।

प्रे-बेस के लिए ये होंगे कामइस रिजर्व फोरेस्ट की 4 हैक्टेयर वन भूमि पर एक एनक्लोजर बनेगा। फूड स्टोरेज रूम, पेट्रोलिंग ट्रेक, शेल्टर्स, पाइप लाइन विथ वाटर टैंक, सोलर पंप लगेंगे। यहां बड़ी संख्या में पौधरोपण होगा और घास के मैदान विकसित किए जाएंगे। प्रे-बेस के तहत एनक्लोजर में चीतल, हिरण आदि वन्य जीव छोड़े जाएंगे। इनकी ब्रीडिंग के बाद संख्या बढ़ेगी और इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा। जिससे लेपर्ड को जंगल में ही शिकार मिल सके और वे शिकार की तलाश में आसपास के आबादी क्षेत्रों का रुख ना करें।

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