जोधपुर। भीलवाड़ा जिले में गरबा समिति द्वारा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तिलक और आधार कार्ड को अनिवार्य करने के नियम के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस नए नियम पर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों से विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस नियम का समर्थन करते हुए सुझाव दिया कि गरबा कार्यक्रमों में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग आयोजन किए जाने चाहिए। राठौड़ ने कहा कि बहनों का गरबा अलग होना चाहिए और पुरुषों का अलग।
कई जगह संयुक्त कार्यक्रमों में ऐसे लोग शामिल हो जाते हैं जो भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते और अन्य प्रयोजन से आते हैं। ऐसे तत्वों पर रोक लगाना आवश्यक है। इसी मुद्दे पर प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी प्रतिक्रिया दी कि जब खेलों में नियम बनाए जाते हैं, तो धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में क्यों नहीं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कबड्डी खेलने के लिए नियम तय होते हैं, उसी तरह गरबा में भी नियम होने चाहिए। जिनके लिए यह आयोजन है, उन्हीं को प्रवेश मिलना चाहिए।
कई स्थानों पर आयोजक समितियां भी इस पर विचार कर रही हैं कि गरबा में सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने के लिए पहचान पत्र दिखाना और सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप नियमों का पालन करना जरूरी होगा। वहीं, विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गरबा जैसे उत्सव सामाजिक सद्भाव और आपसी मेलजोल का प्रतीक हैं, ऐसे में कठोर शर्तें लगाना धार्मिक और सांस्कृतिक एकता पर सवाल खड़े कर सकता है।
देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में राजस्थान के अन्य जिलों में इस तरह के नियम किस स्तर तक लागू होते हैं और आमजन इन्हें किस नजरिए से स्वीकार करते हैं।