गीता जयंती पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा का महत्व

हर साल अगहन या मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह वही दिन है जब द्वापर युग में कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शिष्य अर्जुन को धर्म, कर्म और जीवन का वह ज्ञान दिया था, जो आज तक मानवता के लिए दिशा-प्रदर्शक बना हुआ है। यही वह अवसर था जब भगवद गीता का उद्भव हुआ जो कि एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन का विज्ञान है। इससे लोगों को सही दिशा में चलने की राह मिलती है।

बता दें कि यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 नवंबर 2025 की रात 9 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 1 दिसंबर की शाम 7 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी का पर्व सोमवार 1 दिसंबर 2025 को मनाया जाएगा। शुभ मुहूर्त इस साल गीता जयंती पर शुभ संयोगों की त्रिवेणी बन रही है। ज्योतिषीय गणनाओं के मुताबिक इस दिन शिववास योग और अभिजीत मुहर्त का मेल रहेगा।

मान्यता है कि इन योगों में भगवान कृष्ण की आराधना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है और मनोवांछित इच्छाएं पूर्ण होती हैं। पूजा का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का है, जो कि सुबह 7 बजे से 9 बजे तक रहेगा। इस अवधि में गीता पाठ और श्रीकृष्ण की आराधना करना अत्यंत शुभ माना गया है।

मोक्ष का पर्व गीता जयंती केवल एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि वह क्षण है जब श्रीकृष्ण ने मनुष्य को जीवन का सबसे बड़ा रहस्य बताया था कि “कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो।” कुरुक्षेत्र के युद्ध के बीच जब अर्जुन मोह और शोक में डूब गए, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें जो उपदेश दिया, वह आने वाले युगों तक मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहा। इसी कारण इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत और पूजा करने से साधक को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि गीता जयंती के दिन भक्त सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं। घरों और मंदिरों में श्रीकृष्ण-लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा का विशेष पूजन किया जाता है। भक्त गीता के अध्यायों का पाठ करते हैं और श्लोकों का अर्थ समझने का प्रयास करते हैं। माना जाता है कि इस दिन गीता का एक भी श्लोक ध्यानपूर्वक पढ़ना व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। कई मंदिरों में अखंड गीता पाठ, कथा और भजन संध्या का आयोजन होता है।

देश-विदेश में उत्सव गीता जयंती का आयोजन सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में बसे हिंदू समुदायों द्वारा भी बड़े श्रद्धाभाव से किया जाता है। कुरुक्षेत्र में तो इस दिन का आयोजन विशेष रूप से भव्य होता है। लाखों श्रद्धालु यहां एकत्र होकर सरस्वती तट पर दीपदान करते हैं और गीता उपदेशों को स्मरण करते हैं। देश के विभिन्न राज्यों में धार्मिक संस्थान, स्कूल और कॉलेज इस अवसर पर गीता प्रवचन और ज्ञान संगोष्ठियों का आयोजन करते हैं। भगवद गीता का सार आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हजारों वर्ष पहले था।

यह हमें सिखाती है कि जीवन में सफलता का रहस्य कर्म, संयम और आत्मज्ञान में छिपा है। श्रीकृष्ण का संदेश हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन है कि जब मनुष्य अपने कर्तव्य का पालन निष्काम भाव से करता है, तब वही सच्ची भक्ति होती है। इस दिन किन कामों को करें? भगवद गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश को प्रस्तुत करते हैं, जो महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध के समय अर्जुन के मन में संदेह और उदासीनता को देखकर उन्होंने दिए थे।

ये श्लोक ज्ञान, भक्ति, कर्म, धर्म और अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर आधारित हैं और इसमें मानव जीवन के मार्गदर्शन के लिए बहुतेरे महत्वपूर्ण सिद्धांत और उपदेश हैं। इसलिए इस दिन इन श्लोकों का जरुर अनुसरण करें। गीता जयंती पर भगवद गीता के पाठ के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण को पीले रंग के फूल अर्पित करें। साथ ही ऊं क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि परमात्मने प्रणतः क्लेश्नाशय गोविदाय नमो नमः’ मंत्र का जाप करें जो कि उनकी उपासना और समर्पण का प्रतीक होगा।

मंत्र का अर्थ है: “ॐ क्लीं, जो श्रीकृष्ण हैं, वासुदेव और हरि परमात्मा, जिन्हें हम नमस्कार करते हैं, जो सभी क्लेशों को नष्ट करने वाले और गोविंद (सबका पालनहार) हैं। हम उनको प्रणाम करते हैं।” इस दिन आप किसी मंदिर में केले का पेड़ लगाएं। इसके अलावा, गीता जयंती के दिन किसी विशेष आहार का दान करें। जिसे धार्मिक दृष्टि से आर्थिक समृद्धि के आशीर्वाद का प्रतिक माना गया है।

Share This Article
Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal
Exit mobile version