जयपुर। श्री गोपालजी महाराज की 207वीं हेड़े की परिक्रमा भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हो गई। गोपालजी का रास्ता स्थित श्री नृसिंहजी के मंदिर से आरती और जयकारों के साथ परिक्रमा शुरू हुई। जयपुर की परंपरागत वेशभूषा, सफेद धोती कुर्ता और मोतिया रंग की पगड़ी धारण कर श्रद्धालु ढोलकी और मंजीरों की ताल पर भजन-कीर्तन करते हुए चल रहे थे। गोपालजी के मंदिर से रवाना होकर जौहरी बाजार के सभी प्राचीन मंदिरों में ठाकुर जी को पारंपरिक भजन सुनाए। इसके बाद सभी श्रद्धालु सांगानेरी गेट पर एकत्र हुए।
यहां से परिक्रमा धुलेश्वर महादेव, हाथीबाबू का बाग, पंचमुखी हनुमान, धूलकोट, गढ़ गणेश, नहर के गणेश जी, धोतीवालों की बगीची, बद्रीनारायण जी की डूंगरी, लाल डूंगरी स्थित कल्याण जी और गणेश मंदिर होते हुए गलता पहुंची। घाट के बालाजी के दर्शन कर भक्तों ने विश्राम किया। घाट की गुणी स्थिति फ तेहचन्द्रमाजी मंदिर में चार बच्चों को बहुमूल्य जेवर और रत्न जड़ित राजसी पोशाक पहनाकर श्रृंगारित किया। बच्चों को श्री गोपालजी, राधा और दो सखियों ललिता-विशाखा के रूप में सजाया गया। चांदी की तीन पालकी में चारों स्वरुप सरकारों को विराजमान कर आरती उतारी।
सांगानेरी गेट से निकली शोभायात्रा : स्वरूप सरकारों के साथ परिक्रमा सांगानेरी गेट पहुंची। हाथी, घोड़े, ऊंट, लवाजमे और बैंड-बाजा परिक्रमा में शामिल होने से यह शोभायात्रा में बदल गई। जगह-जगह शोभायात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज, श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया एवं अन्य ने स्वरूप सरकार की आरती उतारी। बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, चौड़ा रास्ता होते हुए शोभायात्रा पुन: गोपालजी का रास्ता स्थित निज मंदिर श्री गोपालजी महाराज पहुंची।