हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने रविवार को शिमला के रिज मैदान स्थित श्री गुरुद्वारा सिंह सभा में गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी गुरु पर्व पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। ठाकुर ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का जीवन त्याग, वीरता और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहा। उन्होंने कहा कि जिस समय भारत अपनी पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा था, उस समय गुरु तेग बहादुर जी ‘हिन्द दी चादर’ बनकर सामने आए और उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर मानवता और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की।
जयराम ठाकुर ने कहा कि औरंगजेब की आततायी सोच के सामने गुरु तेग बहादुर जी चट्टान की तरह खड़े रहे। उन्होंने अत्याचार के आगे सिर झुकाने से इनकार किया और सिख धर्म तथा भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान दे दिया। ठाकुर ने कहा कि भले ही औरंगजेब जैसे शासकों ने अनेक सिर धड़ से अलग किए हों, लेकिन वे भारत की आस्था और संस्कारों को कभी मिटा नहीं सके। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान इस बात का प्रमाण है कि सत्य और धर्म के लिए खड़ा व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत ने भारत की आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि “बड़ी-बड़ी सत्ताएं मिट गईं, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए, पर भारत आज भी अमर खड़ा है।” गुरु तेग बहादुर जी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि जब भी भारत की आत्मा पर संकट आया, तब त्याग और साहस के प्रतीक महान संतों ने देश की दिशा दिखाई। ठाकुर ने बताया कि गुरु तेग बहादुर जी ने अपने जीवन के कई वर्ष हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बिताए।
उन्होंने कहा कि पांवटा साहिब में उनका आश्रम रहा, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण वाणियां रचीं। आज गुरुद्वारा पांवटा साहिब देशभर के श्रद्धालुओं के लिए एक महान तीर्थस्थल है, जहां हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह स्थान गुरु जी के विचारों और शिक्षाओं का जीवंत प्रतीक है। कार्यक्रम के अंत में ठाकुर ने कहा कि देश गुरु तेग बहादुर जी के अद्वितीय बलिदान, उनके आदर्शों और शिक्षाओं का ऋणी है। उन्होंने कहा कि गुरु जी ने धार्मिक स्वतंत्रता, मानवीय मूल्यों और भाईचारे की जो मिसाल कायम की, वह हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उनकी शिक्षाएं आज भी समाज में एकता, सहिष्णुता और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश देती हैं।

