ग्वालियर जिले में रविवार की सुबह एक सड़क दुर्घटना में पांच दोस्तों की जान चली गई। यह घटना सिरोल थाना क्षेत्र के सिकरौदा हाइवे पर हुई, जहां सभी दोस्त फॉर्च्यूनर गाड़ी से पार्टी कर लौट रहे थे। सुबह लगभग 6 बजे, कार तेज रफ्तार में थी और रेत से भरी ओवर लोड ट्रैक्टर ट्रॉली में पीछे से घुस गई, जिससे सभी दोस्तों की मौके पर ही मौत हो गई। शवों को बमुश्किल कार से निकाला जा सका। शुरुआती जांच में ओवर स्पीडिंग को घटना का जिम्मेदार बताया गया, जिसमें कहा गया कि कार की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
दुर्घटना के बाद पुलिस ने औपचारिकताएं पूरी कीं और शवों को परिजनों को सौंप दिया। पुलिस ने शुरुआती जांच के लिए सीसीटीवी कैमरों की मदद ली और घटना स्थल की दूरी के साथ कार की टाइमिंग को मैच कर 130 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड निकाल ली। लेकिन अन्य सवालों को नजरअंदाज किया गया, जो पूरे शहर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, ओवर लोड ट्रैक्टर ट्रॉली से इस तरह की दुर्घटनाएं ग्वालियर में नई नहीं हैं। ग्वालियर चंबल के रेत माफिया की दबंगई पहले भी देखी जा चुकी है।
रेत से भरी ओवर लोड ट्रैक्टर ट्रॉली पर किसी का अंकुश नहीं है। रविवार को पांच दोस्तों की जान इसी ओवर लोड ट्रैक्टर ट्रॉली से टकराकर गई। सवाल यह है कि नियम विरुद्ध दौड़ते ये वाहन आखिर सड़कों पर कैसे चलते हैं? क्या पुलिस या खनिज विभाग को ये दिखाई नहीं देते? घूसखोरी के दम पर चल रहे इन वाहनों के बारे में जानकारी भी मिली है। प्रशासन की संयुक्त टीम ने रविवार को दुर्घटना के बाद निरीक्षण किया और 20 से अधिक ओवर लोड ट्रैक्टर ट्रॉलियों को पकड़ा।
हालांकि, इनमें वे वाहन भी शामिल थे जो रॉयल्टी भरकर रेत परिवहन कर रहे थे। अंततः, पांच युवाओं की जान चली गई और इसके लिए गाड़ी की ओवर स्पीड को दोषी ठहरा दिया गया, जबकि ओवर लोड ट्रैक्टर ट्रॉली को क्लीन चिट दे दी गई। यह स्पष्ट है कि अवैध तरीके से चल रहे इन वाहनों को पुलिस और संबंधित विभागों का संरक्षण प्राप्त है।


