फसल अवशेष अर्थात पराली/नरवाई जलाना प्रतिबंधित है। मध्यप्रदेश शासन पर्यावरण विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के प्रावधानों के तहत इसे प्रतिबंधित किया गया है और आदेश का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना भी निर्धारित किया गया है। ग्वालियर जिला कलेक्टर ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। इसके बावजूद कुछ किसानों ने आदेश का उल्लंघन किया है, जिन पर कार्रवाई की गई है। ग्वालियर जिले में पराली/नरवाई जलाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है और जिले में पराली जलाने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के तहत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान द्वारा यह आदेश जारी किया गया है। कृषि विभाग का मैदानी अमला इस पर निगरानी रख रहा है। जिला दण्डाधिकारी ने यह आदेश फसल के अवशेष जलाने से फैलने वाले प्रदूषण पर अंकुश, अग्नि दुर्घटनाएँ रोकने एवं जान-माल की रक्षा के उद्देश्य से जारी किया है। आदेश के पालन के लिए संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी की अध्यक्षता में समितियाँ भी गठित की गई हैं।
उप संचालक किसान कल्याण व कृषि विभाग को प्रतिदिन की कार्यवाही की जानकारी संकलित कर कलेक्ट्रेट कार्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए जागरूक करने की हिदायत भी कृषि विभाग के मैदानी अमले को दी गई है। जिला प्रशासन ने कलेक्टर के निर्देश के बाद से सभी अनुविभागीय दण्डाधिकारी इस आदेश का पालन कराने के लिए अपने-अपने क्षेत्र में निगरानी बनाए हुए हैं।
इसी क्रम में भितरवार क्षेत्र में पराली जलाए जाने की सूचना मिली, जिस पर टीम ने निरीक्षण किया और फिर 11 किसान आदेश के उल्लंघन के दोषी पाए गए, जिन पर 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। ये किसान ब्लाक भितरवार में ग्राम आंतरी के हैं। पराली जलाने के कारण पर्यावरण को क्षति पहुंची है और इन किसानों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का उल्लंघन किया है।
जुर्माना इस प्रकार निर्धारित किया गया है: 02 एकड़ या उससे कम भूमि धारक 2500/- रुपये प्रति घटना, 02 एकड़ से अधिक लेकिन 05 एकड़ से कम भूमि धारक 5000/- रुपये प्रति घटना, और 05 एकड़ से अधिक भूमि धारक 15000/- रुपये प्रति घटना।


