हाई कंट्रास्ट मैमोग्राफी से ब्रेस्ट कैंसर की पहचान में सुधार

Tina Chouhan

जयपुर। एमआरआई के अलावा अब हाई कंट्रास्ट मैमोग्राफी जांच तकनीक भी ब्रेस्ट कैंसर की पहचान करने में बेहतर परिणाम दे रही है। जो मरीज एमआरआई टेस्ट नहीं करवा सकते, उनके लिए यह जांच काफी फायदेमंद है। यह जानकारी इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (आईआरआईए) राजस्थान चैप्टर की शक्ति विंग और अन्य के संयुक्त तत्वावधान में ब्रेस्ट इमेजिंग सीएमई एवं हैंड्स ऑन वर्कशॉप के विशेषज्ञों ने दी। आयोजन सचिव डॉ. सुमन सिंघल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में डॉ. प्रमा दुबे ने मैमोग्राफी और बीआई आरएडीएस पर जानकारी दी। डॉ.

माधवी चंद्रा ने अल्ट्रासाउंड से स्तन रोगों की जाँच और उनकी सही श्रेणीकरण की प्रक्रिया समझाई। डॉ. शिखा पंवार ने एमआरआई ब्रेस्ट, डॉ. भावना देव ने ब्रेस्ट इंटरवेंशन एसेंशियल्स सत्र में यह बताया कि अल्ट्रासाउंड की मदद से गांठ या संदिग्ध हिस्से की जाँच व सैंपलिंग कैसे की जाती है। आईआरआईए राजस्थान के प्रेसिडेंट डॉ. परेश सुखानी और सेक्रेटरी डॉ. कुशल बाबू गहलोत ने बताया कि इस दौरान हैंड्स ऑन वर्कशॉप में रेजिडेंट्स को वायर लोकलाइजेशन, वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायोप्सी और अल्ट्रासाउंड गाइडेड बायोप्सी जैसी आधुनिक तकनीकों की लाइव ट्रेनिंग दी गई।

हाई कंट्रास्ट मैमोग्राफी से आसान हुई ब्रेस्ट कैंसर की जांच : सर गंगाराम हॉस्पिटल की डॉ. माधवी चंद्रा ने बताया कि स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए हाई कंट्रास्ट मैमोग्राफी एक अत्याधुनिक तकनीक है। इसमें कॉन्ट्रास्ट एजेंट और डिजिटल इमेजिंग का प्रयोग कर स्तन ऊतक की गहराई तक की संरचनाएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। यह उन मरीजों के लिए खासतौर पर लाभकारी है जो एमआरआई टेस्ट नहीं करवा सकते या मशीन में जाने से घबराते हैं। पारंपरिक मैमोग्राफी की तुलना में यह तकनीक कहीं अधिक संवेदनशील है और कैंसर या संदिग्ध गांठों की सटीक पहचान करने में सक्षम है।

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