जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने 6 करोड़ रुपए से अधिक की जीएसटी चोरी के मामले में आरोपी प्रेम कुमार को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस चन्द्र प्रकाश श्रीमाली की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि मामले में आरोपी के खिलाफ पेश आरोप पत्र की सुनवाई में समय लगने की संभावना है। अभियोजन के पास इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं और उनके साथ छेड़छाड़ का अंदेशा नहीं है। इसके अलावा आरोपी के खिलाफ पहले से कोई आपराधिक प्रकरण लंबित नहीं है।
ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है। जमानत याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरबी माथुर ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की कंपनी मैसर्स केशव सीमेंट एजेंसी ने 28 फीसदी जीएसटी अदा कर सीमेंट कंपनी से सीमेंट खरीदी थी। उस पर आरोप है कि उसने बिना माल भेजे केवल इनवॉइस के आधार पर छह करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी की है। याचिका में कहा गया कि जिन दो कंपनियों को बिल जारी किए गए, उनके आधार पर दोनों कंपनियों ने टैक्स अदा कर दिया।
यदि याचिकाकर्ता के खिलाफ टैक्स चोरी का मामला बनता है तो वह पांच करोड़ रुपए से अधिक का नहीं हो सकता और 5 करोड़ रुपए तक का आरोप जमानती अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद भी विभाग ने संपूर्ण बिलों की राशि को जीएसटी की राशि जोड़कर छह करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी का बनाकर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया। जमानत याचिका का विरोध करते हुए जीएसटी विभाग ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना माल भेजे फर्जी इनवॉइस के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट पासऑन करके गैर कानूनी लाभ उठाया है।
उसकी फर्म को करीब साढ़े छह करोड़ रुपए की टैक्स क्रेडिट ट्रांसफर हुई है। ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।


