नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Tina Chouhan

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की मौजूदा सीमाओं में परिवर्तन करने पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि इसमें ईको सेंसिटिव जोन और वर्णित क्षेत्र भी शामिल रहेगा। अदालत ने मामले में पर्यावरण मंत्रालय, राज्य के मुख्य सचिव, एसीएस वन, नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड और पीसीसीएफ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने मामले में उठाए गए मुद्दे पर केन्द्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को शपथ पत्र पेश कर करने के आदेश देते हुए पीसीसीएफ का हलफनामा भी मांगा है।

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने यह आदेश नाहरगढ वन एवं वन्यजीव सुरक्षा एवं सेवा समिति की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में अधिवक्ता केसी शर्मा ने अदालत को बताया कि एनजीटी के 16 दिसंबर 2024 के आदेश की आड़ में नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का संशोधित नक्शा तैयार किया जा रहा है। जिसमें मिलीभगत कर वर्णित क्षेत्र में शामिल होने वाले गांवों की भूमि को शामिल नहीं किया गया है। इस कार्रवाई में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों की भी अवहेलना की जा रही है।

इस दौरान राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश लिए बिना ही अभ्यारण्य की सीमाओं में बदलाव किया जा रहा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि नाहरगढ़ अभयारण्य की सीमा पर चल रही गैर वानिकी गतिविधियों और व्यावसायिक गतिविधियों को फायदा पहुंचाने के लिए वन विभाग की ओर से यह कार्रवाई की जा रही है। याचिका में यह भी कहा गया कि अभयारण्य की सीमाओं में संशोधन की कार्रवाई से अभयारण्य को नुकसान हो रहा है और ईको सेंसिटिव जोन भी प्रभावित हो रहा है।

जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभयारण्य की मौजूदा सीमाओं में बदलाव करने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है और केन्द्र व राज्य सरकार के अफसरों से शपथ पत्र पेश करने को कहा है।

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