जयपुर। राजस्थान में अब माइनिंग हाईटेक मोड में करने के प्लान पर काम हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई से खनिज तलाशेंगे और रिफाइन करने की शुरुआत की जा रही है। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भीलवाड़ा-भरतपुर और चित्तौडगढ़ के कुछ स्थानों को चुना गया है। इसमें मशीन लर्निंग तकनीक की भी मदद ली जाएगी। प्रोजेक्ट सफल रहा तो प्रदेशभर में एआई माइनिंग सेक्टर की ताकत बनेगी। यहीं नहीं माइनिंग विभाग डीओआईटी की मदद से खनिज डेटा डोमेन भी तैयार कर रहा है।
माइनिंग इंवेस्टर्स इससे ऑनलाइन माइनिंग डेटा तो देख ही सकेंगे, साथ ही माइनिंग एरिया चिन्हित होने से दूसरे विभाग यहां अपने प्रोजेक्ट्स पर अनावश्यक सरकारी पैसा खर्च करने से भी बच सकेंगे। उन्हें अपने प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग से पहले ही माइनिंग एरिया का पता लग जाएगा, प्रोजेक्ट्स की ओवरलेपिंग नहीं होगी। आगामी दो-तीन माह में इसका मॉड्यूल तैयार हो जाएगा। खनिजों का डेटा डोमेन पर डीओआईटी के साथ डेटा शेयर कर मॉड्यूल बन रहा है। निवेशक चिन्हित खनिज संपदा का डेटा आॅनलाइन देख सकेंगे।
इसके लिए खान विभाग दो माड्यूल्स एसेसमेंट आॅफ मिनरल ब्लॉक और इंटीग्रेशन आॅफ मिनरल मेप्स तैयार कर चुकी है। अगले दो-तीन माह में इसका काम पूरा हो जाएगा। मिनरल डेटा राजधरा पोर्टल और पीएम गति शक्ति पोर्टल से भी इंटीग्रेटेड किया जाएगा। माइनिंग प्लान अनुमोदन ऑनलाइन होने लगे खनन विभाग के आॅफिस भी हाईटेक हो रहे हैं। आॅफिसों में वर्क स्टेशन बनाने की तैयारी है ताकि मिनरल्स सेक्टर के डेटा का एनालिसिस हो सके। फील्ड में खनिज खोज को ब्रंटन कम्पास, फील्ड जीपीएस, फील्ड एक्सआरएफ, जियोलोजिकल हेमर भी लाए जाएंगे।
माइनिंग प्लान अनुमोदन और नो ड्यूज का काम भी ऑनलाइन होगा। अब तक 80 माइनिंग प्लान अनुमोदन की प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू की जा चुकी है। इसकी समय सीमा भी तय होगी, ताकि निश्चित समय में इन्हें मंजूरी मिल सके। लीज देय भुगतान एलआईएस सिस्टम से होगाखानधारक अपनी लीज की प्रोफाइइल, डिमाण्ड राशि की जानकारी, इसे जमा कराने की प्रक्रिया जल्द ही आॅनलाइन कर सकेगा। इसको लीज इंफोमेशन सिस्टम (एलआईएस) सिस्टम तैयार हो रहा है। इसे आॅनलाइन ही खनिज अभियंता सत्यापित भी कर सकेगा। यहां कंसेट टू आपरेट, अनुमोदित माइनिंग प्लान, डेडरेंट, खनिज खनन आदि सभी जानकारी होगी।
समय व धन बचेगा। विभागीय व्यवस्था और अधिक प्रभावी होगी। एआई को प्राइवेट एजेंसी की मदद लेंगे एआई के माध्यम से क्रिटिकल एवं स्ट्रेटेजिक खनिज खोज और रिफाइनिंग शुरू होगी। राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट यानी आरएसएमईटी, केन्द्र सरकार द्वारा नोटिफाइड प्राइवेट एक्सप्लोरेशन एजेंसी के साथ काम करेगी। एआई रिपोर्ट के अधार पर खनिज संभावित चिन्हित स्थानों पर प्राथमिकता से ड्रिलिंग होगी और फिर सेंपल्स का रासायनिक विश्लेषण करवाया जाएगा। फिर ब्लॉक तैयार कर नीलामी होगी। पुराने तरीके से पूर्वेक्षण में अधिक समय व धन व्यय होता है।
एआई से एक्सप्लोरेशन कार्य से समय, धन और श्रम तीनों की बचत होगी। एक्सप्लोरेशन में गुणवत्ता और खनिज उपलब्धता सुनिश्चितता की संभावना अधिक होगी। हैदराबाद की एनपीईए क्रिटिकल मिनरल ट्रेकर द्वारा एआई के उपयोग करते हुए एक्सप्लोरेशन डेटा, सेटेलाइट मेपिंग और ग्राउण्ड पेनिट्रेशन राडार प्राप्त डेटा को एनालिसिस किया जाएगा। ए आई से पायलट प्रोजेक्ट्स के तहत चिह्नित एरिया में खनिज रिफाइन किया जाएगा। मशीन लर्निंग टैक्नोलॉजी की भी मदद लेंगे। खनिज एरिया डोमेन पर होगा तो दूसरे विभाग के कामों की ओवरलेपिंग नहीं होगी। माइनिंग अनुमोदन का काम तो ऑनलाइन शुरू भी हो गया है।
माइनिंग सिस्टम को एडवांस बनाने का प्रयास है।-टी.रविकांत, प्रमुख सचिव, खान विभाग।