आईएएनएस रिव्यू : रहस्य और रोमांच से भरपूर है गैसलाइट

Kheem Singh Bhati
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फिल्म: गैसलाइट (डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीमिंग) फिल्म की अवधि: 112 मिनट निर्देशक: पवन कृपलानी

कास्ट: सारा अली खान, चित्रांगदा सिंह, विक्रांत मैसी, राहुल देव, अक्षय ओबेरॉय, शिशिर शर्मा, शताफ अहमद फिगर और मंजिरी पुपला

रेटिंग : 4 स्टार

गैसलाइट शब्द का प्रयोग क्रिया के रूप में किसी व्यक्ति के मनोविज्ञान में चालाकी से हेरफेर करने लिए किया जाता है, ताकि पीड़ित खुद अपने ही विचारों की वैधता पर सवाल उठाने लगे, उसके लिए सच्चाई की धारणा बदल जाए।

पवन कृपलानी द्वारा निर्देशित गैसलाइट एक क्लासिक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है। कहानी की शुरूआत में ही समझ आ जाता है कि एक मर्डर हुआ है। यहां सवाल किसने किया का नहीं बल्कि क्यों और कैसे किया का है? फिल्म में खुलते जा रहे धीरे-धीरे रहस्य आपको सीट से बांधे रखेंगे।

कहानी हमें रतन सिंह गायकवाड़ की हवेली मायागढ़ महल में ले जाती है, यहां एक होम वीडियो की क्लिप के जरिए उनकी बेटी मिश्री उर्फ मीशा का जन्मदिन मनाते हुए दिखाया गया है।

मीशा की मां की एक भयानक दुर्घटना में मौत हो जाती है। सालों बाद, व्हीलचेयर-बाउंड मीशा (सारा अली खान) अपने पिता के साथ सुलह करने के लिए घर लौटती है, जिनके साथ उसके एक तनावपूर्ण रिश्ता है।

जब वह घर आती है, तो उसकी सौतेली मां रुक्मिणी (चित्रांगदा सिंह) और घर के बाकी लोगों द्वारा उसका घर में स्वागत किया जाता है, लेकिन उसके पिता रतन सिंह गायकवाड़ वहां मौजूद नहीं होते।

हवेली में रहने के दौरान, मीशा अजीबों-गरीब घटनाओं का अनुभव करती है। झूठे आरोप, मनगढ़ंत कहानियां और बनावटी दृश्यों के साथ सारा को उलझाने की कोशिश की जाती है। जिससे सारा परेशान हो जाती है।

रतन सिंह गायकवाड़ के एस्टेट मैनेजर कपिल का किरदार विक्रांत मैसी ने निभाया है। वहीं, चित्रांगदा सिंह ने रुक्मिणी के किरदार में फिट बैठने के लिए काफी मेहनत की है। दोनों ही षड़यन्त्र रच रहे हैं।

अक्षय ओबेरॉय ने शानदार ढंग से मीशा के दूर के चचेरे भाई राणा जय सिंह की भूमिका निभाई। पुलिस अधीक्षक अशोक तंवर के रूप में राहुल देव और फैमिली डॉक्टर के रूप में शिशिर शर्मा कलाकारों की लिस्ट में शामिल हैं।

शानदार हवेली, स्थान और फिल्म में इस्तेमाल किए गए प्रॉप्स की सेटिंग कहानी को भयानक और प्रशंसनीय बनाती है।

सिनेमैटोग्राफर रागुल धरुमन का एक्शन और ड्रामा फिल्म में जान डाल रहा है। उनके डार्क फ्रेम फिल्म को दिलचस्प बना रहे हैं। फिल्म के कई सीन्स प्रतीकात्मकता और कलात्मक कल्पना पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।

निखिल एस. कोवाले द्वारा प्रोडक्शन डिजाइन, अनिर्बान सेनगुप्ता द्वारा डिजाइन की गई बेहतरीन ऑडियोग्राफी और साउंड और जबरदस्त म्यूजिक गौरव चटर्जी ने दिया है। फिल्म के हर पहलू को चंदन अरोड़ा ने अपने क्रिएटिव एडिटिंग से सहज तरीके से पेश किया है।

कुल मिलाकर, एक के बाद एक सामने आ रहे चौंका देन वाले राज और डिजाइन फिल्म को आकर्षक बना रही है, जिसके चलते दर्शक फिल्म की काफी प्रशंसा कर रहे हैं।

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