सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद हाल ही में अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। मसूद ने एक पॉडकास्ट में फिलिस्तीनी समूह हमास और भारत के स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के बीच तुलना करने का कथित बयान दिया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। सत्ताधारी भाजपा ने भी मसूद के बयान की आलोचना की। विवाद बढ़ने के बाद इमरान मसूद ने सफाई दी और कहा कि उनका बयान तोड़ा-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भगत सिंह की तुलना किसी से नहीं की जा सकती।
मसूद ने कहा, “भगत सिंह हमारे सर का ताज हैं और उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। हर लड़ाई के अपने उद्देश्य होते हैं। हमास फिलिस्तीन में मारे गए लाखों बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए लड़ रहा है। भारत सरकार ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है, मदद भी पहुंचाई है। अगर हमास आतंकवादी संगठन है तो भारत सरकार उसे अपनी आतंकवादी सूची में क्यों नहीं डाल रही है।” मसूद ने यह भी जोड़ा कि उनका बयान किसी की तुलना करने के लिए नहीं था।
एक पॉडकास्ट के दौरान इमरान मसूद ने कहा था, “क्या भगत सिंह भी आतंकवादी थे?” उन्होंने बताया कि भगत सिंह और हमास दोनों अपनी जमीन और आजादी के लिए लड़ रहे थे। मसूद ने कहा कि उनके लिए हमास आतंकवादी संगठन हो सकता है, लेकिन उनका मानना है कि वे अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका इशारा था कि किसी भी स्वतंत्रता संग्राम को आतंकवाद की श्रेणी में नहीं डालना चाहिए। मसूद के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। सोशल मीडिया पर लोग उनके बयान की आलोचना और समर्थन दोनों कर रहे हैं।
कांग्रेस ने उनके बयान की व्याख्या को साफ किया, जबकि भाजपा ने इसे सही नहीं माना। इस घटना ने यह दिखा दिया कि भारत में इतिहास और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बोलते समय राजनीति और संवेदनशीलता का संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है।


