भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान पर जोरदार हमला बोलते हुए उसके अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को समाप्त करने की मांग की है। यह बयान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हाल की हिंसक अशांति के बाद आया है, जिसमें 12 से अधिक नागरिक मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथनेनी हरिश ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक ढांचे के तहत अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग करते हैं, जबकि पाकिस्तान के लिए यह अवधारणा अजनबी है।
हरिश ने पाकिस्तान की नाजुक लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाए, जहां चुनी हुई सरकारें सेना के प्रभाव में रहती हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में 33 वर्षों तक सैन्य शासन रहा और कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। उन्होंने पीओके में हाल के विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि वहां की जनता पाकिस्तान की सैन्य दमन, क्रूरता और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ खुली बगावत कर रही है। जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है।
पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने पर भारत ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा। हरिश ने पाकिस्तान से अपने अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में सैन्य दमन और मानवाधिकार उल्लंघनों को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पीओके में अक्टूबर की शुरुआत में नागरिक मुद्दों को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन जल्द ही सैन्य अत्याचारों के खिलाफ व्यापक आंदोलन में बदल गए, जिसने क्षेत्र को ठप कर दिया।
अंत में भारतीय राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि 1945 की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को दर्शाने वाली पुरानी परिषद संरचना 2025 की चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं है। उन्होंने सदस्य देशों को सलाह दी कि वे संयुक्त राष्ट्र को विभाजनकारी राजनीति और संकीर्ण उद्देश्यों के लिए मंच के रूप में उपयोग करने से बचें। इस बयान के साथ भारत ने एक बार फिर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया।


