भारत ने वीएचएफ रडार को किया अपग्रेड, चीन और अमेरिका के विमानों पर नजर

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। भारत ने अपने पहले स्वदेशी सूर्या वेरी हाइ फ्रीक्वेंसी(वीएचएफ) रडार को अपग्रेड कर दिया है। अपनी रक्षा क्षमता में और मजबूती लाते हुए भारत ने मेक इन इंडिया के तहत बने सूर्या वीएचएफ रडार सिस्टम की रेंज बढ़ाकर 500 किलोमीटर तक कर दी है। यानी अब यह दुश्मन के फाइटर जेट्स को 500 किलोमीटर दूर से सूंघकर बता सकता है। ट्राइडेंटेक्स पर एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह रडार इतना एडवांस है कि पांचवीं-छठी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स भी इसकी निगाह से बच नहीं सकते हैं।

पहले उन्नत फाइटर जेट्स को पारंपरिक रडार पकड़ नहीं पाते थे। सूर्या रडार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी इसरो के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट ने भारत इलेक्ट्रॅनिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर विकसित किया है। इस रडार को भारतीय वायुसेना के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। चीन के जे-20 को भी दबोच लेता है। सूर्या वीएचएफ रडार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह चीन के जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान और विंग लूंग जैसे ड्रोन को भी पहचान सकता है।

वह दूर से ही बता देता है कि इन फाइटर्स का रुख किस ओर है। इस रडार को स्टील्थ हंटर भी कहा जाता है। 500 किलोमीटर तक की रेंज 360 डिग्री कवरेज। पहले यह यह रडार प्रणाली 2 वर्ग मीटर के रडार क्रॉस सेक्शन वाले लक्ष्यों को 400 किलोमीटर तक की दूरी से ही पहचान सकती थी। मगर, अब इसकी रेंज में इजाफा कर दिया गया है, जिससे इसकी रेंज 500 किलोमीटर तक हो गई है। साथ ही यह प्रति मिनट 10 बार घूमने की क्षमता रखता है, जिससे यह 360 डिग्री का व्यापक कवरेज और पूरी निगरानी करता है।

सूर्या रडार को दो 6़6 हाई-मोबिलिटी वाहनों पर आधारित किया गया है, जिससे इसे किसी भी भौगोलिक परिस्थिति में आसानी से तैनात किया जा सकता है। यह रडार मोबाइल यूनिट के तौर पर कार्य करता है और इसमें कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों की पहचान के लिए 3डी रडार तकनीक भी मौजूद है। एफ 35 विमानों का हर पैंतरा होगा विफल। सूर्या रडार वीएचएफ बैंड में काम करता है, जो लंबी वेबलेंथ यानी 30 से लेकर 300 मेगाहर्ट्ज के वीएचएफ बैंड का इस्तेमाल करता है। इसी वजह से कोई भी स्टील्थ विमान इसकी निगाह से बच नहीं पाता है।

यहां तक कि अमेरिका के ताकतवर स्टील्थ फाइटर जेट एफ 35 को भी यह आसानी से पकड़ लेता है। सूर्या रडार आत्मनिर्भर भारत का बेहतरीन नमूना है। यह बिना किसी विदेशी तकनीकी सहायता के तैयार किया गया रडार है। यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और देश के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सूर्या रडार को भारत की स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली जैसे आकाश और क्यूआरएसएएम मिसाइल सिस्टम से जोड़ा जाए, तो यह चीन के स्टील्थ फाइटर जे-20 जैसे विमानों के लिए अत्यंत घातक साबित हो सकता है।

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