हम सभी चाहते हैं कि हमारा घर, ऑफिस या गाड़ी हमेशा खुशबू से भरी रहे। कुछ लोग नींबू की ताजगी पसंद करते हैं, तो कुछ लैवेंडर की नरमी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये खुशबू धीरे-धीरे हमारे शरीर में जहर घोल रही है? यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि परफ्यूम, रूम फ्रेशनर और सुगंधित कैंडल्स हमारी सांसों में प्रदूषण मिला रहे हैं। हम अपने जीवन का 80% से अधिक समय बंद स्थानों में बिताते हैं, जहां सबसे बड़ा खतरा छिपा होता है।
कई शोधों से पता चलता है कि इनडोर हवा बाहरी हवा की तुलना में कई गुना अधिक दूषित हो सकती है। सुगंधित उत्पाद इसके मुख्य कारण हो सकते हैं, जो हवा में ऐसे रासायनिक कण छोड़ते हैं जो ऑक्सीजन की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने इन उत्पादों में मौजूद फॉर्मेल्डिहाइड को कैंसरकारी पदार्थ के रूप में सूचीबद्ध किया है। यानी जो खुशबू हमें सुकून देती है, वही हमारी कोशिकाओं में कैंसर का बीज बो सकती है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रूम फ्रेशनर, परफ्यूम, अगरबत्ती, क्लीनिंग स्प्रे और कॉस्मेटिक उत्पादों में हजारों रसायन मिलाए जाते हैं। इनमें सॉल्वेंट्स, प्रिज़र्वेटिव्स, यूवी-एब्जॉर्बर्स, डाइज और स्टेबलाइजर्स शामिल होते हैं। ये सभी इनडोर एयर पॉल्यूशन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक इनसे संपर्क में रहने से एलर्जी, सांस की समस्याएं, हार्मोनल गड़बड़ी और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। सुगंधित उत्पादों में मौजूद फ्थैलेट्स जैसे रसायन शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है।
लंबे समय में हार्ट डिजीज, टाइप-2 डायबिटीज और लिवर से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों ने सुगंधित उत्पादों में पाए जाने वाले वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) को लंग्स, लिवर और स्किन कैंसर से जोड़ा है, जो सांस के जरिए शरीर में जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और डीएनए में बदलाव लाते हैं। इसके लक्षणों में आंखों, गले और फेफड़ों में जलन, बार-बार माइग्रेन या सिरदर्द, अस्थमा अटैक और स्किन एलर्जी शामिल हैं।
कुछ लोगों में “मल्टीपल केमिकल सेंसिटिविटी” (MCS) नाम की स्थिति बन जाती है, जिसमें व्यक्ति किसी भी तरह की तीखी खुशबू या परफ्यूम पर तुरंत प्रतिक्रिया करता है। बच्चों और बुजुर्गों का शरीर इन रसायनों के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। लगातार एक्सपोजर से बच्चों की ग्रोथ, इम्यूनिटी और बिहेवियर पर असर पड़ सकता है। पालतू जानवर जैसे कुत्ते, बिल्लियां और पक्षी भी इन एयरबोर्न केमिकल्स से जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में बचाव के लिए घर की नियमित सफाई करें, कड़ेदान को हमेशा बंद रखें, “फ्रेगरेंस-फ्री” या “नॉन-टॉक्सिक” लेबल वाले उत्पाद खरीदें।
एलोवेरा, पीस लिली, मनी प्लांट जैसे पौधे हवा को प्राकृतिक रूप से साफ करते हैं। घर पर बने मिश्रण के जरिए बिना केमिकल खुशबू पाएं। साइट्रस और मिंट स्प्रे या लैवेंडर-कैमोमाइल मिस्ट जैसे प्राकृतिक एयर फ्रेशनर बनाएं।


