जयपुर। जैसलमेर बस हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे में शामिल बस (आरजे-09 पीए 8040) महज एक माह पहले खरीदी गई थी। जानकारी के अनुसार, 16 सितंबर 2025 को बस खरीदी गई और जोधपुर आरटीओ से इसका अस्थायी पंजीकरण हुआ। बाद में 1 अक्टूबर को चित्तौड़गढ़ आरटीओ में इसका स्थायी पंजीकरण किया गया। यह बस जोधपुर की जैन ट्रेवल्स बॉडी बिल्डिंग कम्पनी से तैयार की गई थी और टाटा कंपनी की नई चेसिस पर बनाई गई थी। बस में बैठने की स्वीकृत सीटें 20 थीं, जबकि स्लीपर कैटेगरी में 26 सीटें दर्ज थीं।
चित्तौड़गढ़ निवासी बस मालिक तुराब अली ने बताया कि बस ने अब तक सिर्फ 3-4 ट्रिप ही किए थे, जैसलमेर से जोधपुर रूट पर। मंगलवार को इसी बस में बड़ा हादसा हो गया। आग कैसे लगी, इस पर तुराब अली ने कुछ स्पष्ट नहीं कहा—बस इतना बोले कि शायद पीछे से आग लगी और फैल गई। अब बड़ा सवाल यह है कि इतनी नई बस में आग कैसे लगी? क्या बॉडी बिल्डिंग कम्पनी की निर्माण गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं?
साथ ही यह भी जांच का विषय है कि टूरिस्ट परमिट पर पंजीकृत बस स्टेज कैरिज के रूप में कैसे संचालित हो रही थी। परिवहन विभाग ने अब इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।


