जैसलमेर। 14 अक्टूबर को हुए भयानक बस अग्निकांड की भयावहता अब भी कम नहीं हुई है। हादसे के चौदह दिन बाद मंगलवार को एक और घायल ने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दम तोड़ दिया। यह पीड़ित थे जैसलमेर जिले के बम्बरो की ढाणी निवासी पीर मोहम्मद (39), जिन्होंने अपने परिवार के पांच सदस्यों को खोने के बाद आखिरकार खुद भी जिंदगी की जंग हार दी। उनकी मौत के साथ ही इस दर्दनाक हादसे में मरने वालों की कुल संख्या अब 28 पहुंच गई है।
हादसा: देखते ही देखते जल गई बस, 19 लोगों की मौके पर मौत 14 अक्टूबर की दोपहर करीब तीन बजे जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक बस अचानक आग की चपेट में आ गई थी। बस में सवार यात्री बचाव का प्रयास करते रहे, लेकिन कुछ ही पलों में पूरी बस लपटों में घिर गई। मौके पर 19 लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गई, जबकि 16 से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे। सभी घायलों को जोधपुर और जयपुर रेफर किया गया था।
एक ही परिवार के छह सदस्यों की मौत इस हादसे में बम्बरो की ढाणी निवासी पीर मोहम्मद का पूरा परिवार तबाह हो गया। पीर मोहम्मद, उनकी पत्नी इमामत (30), बेटी हसीना (10), बेटे यूनुस (8) और इरफान (5), तथा पत्नी की बहन बाघा बाई (16) — सभी बस में सवार थे। हादसे के दिन ही हसीना और इरफान की मौके पर ही जलकर मौत हो गई। 15 अक्टूबर को यूनुस खान ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। 16 अक्टूबर को बाघा बाई की मौत हो गई। 20 अक्टूबर को पत्नी इमामत ने भी दम तोड़ दिया।
और अब, 28 अक्टूबर को पीर मोहम्मद ने भी जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। सिर्फ 15 दिनों में एक पूरा परिवार खत्म हो गया। दो बच्चों को बचा नहीं पाए पीर मोहम्मद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के वक्त बस में अचानक धुआं भर गया। पीर मोहम्मद ने अपने बेटे यूनुस को कांच तोड़कर बाहर फेंक दिया और पत्नी व साली किसी तरह बस से नीचे उतर आईं। लेकिन ऊपर स्लीपर पर बैठे छोटे बच्चे हसीना और इरफान तक वह नहीं पहुंच सके। कुछ ही पलों में पूरी बस आग के गोले में तब्दील हो गई।
बच्चों को बचा न पाने का गम पीर मोहम्मद को अंदर तक तोड़ गया था। पत्नी की मौत के बाद वह गहरे सदमे में चले गए, जिससे उनकी हालत और बिगड़ती चली गई। अस्पतालों में जारी है इलाज, अब तक 2 ही डिस्चार्ज इस हादसे में झुलसे 16 लोगों को जोधपुर रेफर किया गया था, जिनमें से कुछ को बाद में जयपुर एसएमएस अस्पताल भेजा गया। अब तक सिर्फ दो मरीजों को डिस्चार्ज किया जा सका है। बाकी कई अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
हादसे के बाद दर्दनाक दृश्य हादसे के बाद बस पूरी तरह जलकर राख हो गई थी। शवों की पहचान मुश्किल हो गई, जिसके चलते परिजनों के डीएनए सैंपल लेकर जांच के बाद ही शव सौंपे गए। कई परिवार ऐसे हैं, जिनके सभी सदस्य इस अग्निकांड में खत्म हो गए। किसान था पीर मोहम्मद पीर मोहम्मद पेशे से किसान और मजदूर थे। उनका परिवार खुशहाल और मेहनतकश था। वे अपने 85 वर्षीय पिता सोराब खान और तीन बड़े भाइयों के साथ गांव में रहते थे। परिवार में सबसे छोटे होने के नाते वह सबसे प्रिय थे।
अब पूरा गांव शोक में डूबा है। प्रशासन और सरकार से राहत की मांग स्थानीय लोगों ने इस हादसे को लेकर सरकार से पीड़ित परिवारों के लिए आर्थिक सहायता और स्थायी राहत की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि बस में आग लगने के कारणों की पारदर्शी जांच होनी चाहिए ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न दोहराई जाए। जैसलमेर बस अग्निकांड राजस्थान के हालिया वर्षों का सबसे भीषण हादसा साबित हुआ है। अब पीर मोहम्मद की मौत के साथ इस हादसे ने न सिर्फ एक परिवार बल्कि पूरे इलाके की संवेदनाओं को झकझोर दिया है।


